टीनिया वर्सीकोलर: प्रमुख जानकारी और निदान

टीनिया वर्सिकोलर जिसे टिरिआसिस वर्सिकोलर के नाम से भी जाना जाता है, त्वचा पर फफूंद द्वारा उत्पन्न संक्रमण है, जो गर्दन, छाती, पीठ और भुजाओं पर निशानों द्वारा प्रदर्शित होता है।.

टीनिया वर्सीकोलर: लक्षण और कारण

टीनिया वर्सीकोलर – लक्षण – प्रभावित क्षेत्रों में तीव्र खुजली। शुष्क और पपड़ीदार निशान। धीरे-धीरे बढ़ते हुए धब्बे।. टीनिया वर्सीकोलर – कारण – टीनिया वर्सीकोलर उत्पन्न करने वाली फफूंद स्वस्थ त्वचा पर पाई जा सकती है। यह केवल तब समस्या उत्पन्न करती है जब फफूंद की अत्यधिक वृद्धि हो जाती है।.

टीनिया वर्सीकोलर: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

टीनिया वर्सीकोलर – आहार – लेने योग्य आहार: आहार में कच्ची सब्जियाँ और फल, साबुत अनाज जैसे ब्रोकोली, हरी फलियाँ, हरी पत्तेदार सब्जियाँ शामिल करें। कच्चे कद्दू के बीज, शक्करकंद, प्याज, खट्टे फल आदि टीनिया वर्सीकोलर के उपचार हेतु बढ़िया हैं। साबुत अनाजों के विभिन्न प्रकार जैसे चावल, पास्ता, ओटमील आदि बढ़िया विकल्प होते हैं।

टीनिया वर्सीकोलर: रोकथाम और जटिलताएं

टीनिया वर्सीकोलर – रोकथाम – अत्यधिक गर्मी में ना रहें। टैनिंग (त्वचा के रंग का गहरा होना) ना होने दें या सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक सामना ना करें। अत्यधिक पसीना ना निकलने दें।.

एंगुलर चेइलिटिस: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

एंगुलर चेइलिटिस – आहार – लेने योग्य आहार: विटामिन बी2 (राइबोफ्लेविन): इसके मुख्य भोज्य स्रोत हैं दूध और डेरी उत्पाद, दलिया, माँस (खासकर अंगों का माँस) और कुछ प्रकार की हरी पत्तेदार सब्जियाँ। विटामिन बी3 (नायसिन): इसके प्रमुख भोज्य स्रोतों में मूंगफली, चावल, फलियाँ, लिवर, गुर्दा, भोज्य खमीर, एवोकेडो, मछली, अंडे और लीन मीट्स हैं। विटामिन बी6 (पायरिडोक्सिन): मुख्य भोज्य स्रोत में खमीर, भूरा चावल, सूरजमुखी के बीज, चावल, सोयाबीन्स, मेवे, अंडे की जर्दी, केले, लिवर, गेहूँ का चोकर, मछली, चिकन, आलू, फूलगोभी, पत्तागोभी, और एवोकेडो।

एंगुलर चेइलिटिस: रोकथाम और जटिलताएं

एंगुलर चेइलिटिस – रोकथाम – अपने होंठों पर जीभ ना फेरें और अपने मुँह के किनारों को सूखा हुआ रखें। अपने होंठों को सूखा हुआ होने से और तड़कने या फटने से बचाने के लिए मॉइस्चराइजिंग लिप बाम, जिसमें पराबैंगनी सुरक्षा हो, का प्रयोग करें।.

एंगुलर चेइलिटिस: प्रमुख जानकारी और निदान

एंगुलर चेइलिटिस ऐसी स्थिति है जिसमें मुँह का एक या दोनों सिरे सूजे हुए या उत्तेजित होते हैं।.

एंगुलर चेइलिटिस: लक्षण और कारण

एंगुलर चेइलिटिस – लक्षण – मुँह के किनारों का लालिमा के साथ तड़कना और फटना। खाते समय या मुँह को चौड़ा खोलते समय असुविधा होना। छाले होना. एंगुलर चेइलिटिस – कारण – स्टेफायलोकोकस और फफूंद अत्यधिक वृद्धि करते हैं और एंगुलर चेइलिटिस तक पहुँच जाते हैं।.