हीमोफिलिया: सबसे अज्ञात रक्त स्राव विकार

हीमोफिलिया

हीमोफिलिया क्या है?

यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्तस्राव काफी लंबे समय तक होता है और यह एक जन्मजात बीमारी है जो सामान्य रूप से वंशानुगत होती है। कुछ दुर्लभ मामलों में, यह जन्म के बाद भी विकसित हो सकती है (आमतौर पर 50+ आयु के लोगों को प्रभावित करती है)। महिलाओं की तुलना में ये पुरुषों को अधिक प्रभावित करती है। हीमोफिलिया की घटनाएँ काफी कम ह। हीमोफिलिया ए इस विकार का सबसे सामान्य रूप है, जो लगभग 5,000-10,000 जन्मों में से 1 को प्रभावित करता है। इसकी तुलना में हीमोफिलिया बी 20,000-34,000 जन्मों में से 1 को प्रभावित करता ह।

हीमोफिलिया के लक्षण

  • आसानी से घायल होने की प्रवृत्ति।
  • नाकस्राव जो आसानी से बंद नहीं होते।
  • दंत प्रक्रियाओं, जैसे रूट कैनाल थेरेपी, दांत निकालना आदि के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव।
  • जोड़ों में दर्द या सूजन।
  • मूत्र में रक्त।

जटिलताएं

गंभीर मामलों में, खून बहना अचानक होता है जिसका कोई स्पष्ट कारण नहीं होता और ये अक्सर होता है(एक सप्ताह में लगभग एक से दो बार)। रक्त स्राव शरीर के जोड़ों और मांसपेशियों में जा सकता है। इसके बाद के लक्षणों में सूजन, दर्द और अकड़, जोड़ों या मांसपेशियों का उपयोग करने में दर्द या समस्याएं शामिल हो सकती हैं। जोड़ में बार-बार रक्तस्राव गठिया का कारण भी हो सकता है। इस के गंभीर मामलों को अनुपचारित छोड़ने से अग्रिम मृत्यु भी हो सकती है। हालांकि, इसके सफल उपचार के कई विकल्प उपलब्ध हैं और यदि इस रोग को उचित रूप से प्रबंधित किया जाये, तो हीमोफिलिया ग्रसित लोग भी, इस स्थिति से प्रभावित हुए बिना भी, काफ़ी हद तक पूर्ण और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। इसके इलाज में थक्का कारकों के कमी को सुई के द्वारा खूनप्रवाह में पहुंचना शामिल है।

विश्व हीमोफिलिया दिवस

हीमोफिलिया और अन्य रक्तस्राव विकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 17 मार्च को विश्व हीमोफिलिया दिवस मनाया जाता है। 2017 में विश्व हीमोफिलिया दिवस की थीम “लालिमा प्रकशित करना” है। यह थीम काफी हद तक स्पष्ट है जिसमें लाल रंग खून का प्रतीक है।

विश्व हीमोफिलिया दिवस का उद्देश्य इस रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना और दुनिया भर में इस विकार के उपचार की उपलब्धता में वृद्धि करना है। दुर्भाग्यवश, दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्हे इसका और संबंधित रक्तस्राव विकारों का खराब उपचार प्राप्त होता हैं या फिर उन्हें इसका कोई भी इलाज प्राप्त नहीं होता। विश्व हीमोफिलिया महासंघ के अनुसार, हर 1000 व्यक्तियों में से 1 व्यक्ति रक्तस्राव विकार से ग्रसित है, जिनमें से बहुत से लोगों को इलाज नहीं मिलता।

विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत में लगभग 16,000 पंजीकृत मरीज हीमोफिलिया से पीड़ित हैं, हालांकि, उन्हें संदेह है कि यह संख्या इससे सात गुना अधिक हो सकती है। विश्व हीमोफिलिया महासंघ के एक अध्ययन के मुताबिक (वार्षिक वैश्विक सर्वेक्षण), दुनिया की हीमोफिलिक आबादी का लगभग आधा हिस्सा भारत में रहता है और लगभग 70 प्रतिशत हीमोफिलिक लोगों के पास पर्याप्त जानकरी या इलाज तक पहुँच नहीं है।

रक्त थक्का जमना

रक्त थक्का जमना, या स्कंदन, एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो रक्त वाहिका के घायल होने पर अत्यधिक रक्तस्राव को रोकती है। प्लेटलेट (रक्त कोशिका का एक प्रकार) और आपके प्लाज्मा के प्रोटीन (खून का तरल भाग) एक साथ काम करके, चोटों पर एक थक्का बनाकर रक्तस्राव को रोकते हैं। आमतौर पर, जब घाव भर जाता है तो आपका शरीर स्वाभाविक रूप से खून के थक्के को भंग कर देता है।

रक्त थक्का बनाने के लिए दस थक्का कारक आवश्यक हैं। फैक्टर VIII और फैक्टर IX के साथ समस्याओं को क्रमशः हीमोफिलिया ए और बी के रूप में जाना जाता है और ज्यादातर लोगों को इनके बारे में अच्छी तरह से जानाकारी होती है, लेकिन अन्य कारकों की कमी का क्या? हर कोई इन स्थितियों से परिचित नहीं है क्योंकि इनका निदान बहुत दुर्लभ है।

Read in English