क्षय रोग प्रबंधन और इसकी दवाएं

क्षय रोग प्रबंधन क्षय रोग प्रबंधन, संक्रामक टीबी के चिकित्सा उपचार के सन्दर्भ में लिया जाता है। क्षय रोग (टीबी) के इलाज के लिए बीस से अधिक दवाएं विकसित की जा चुकी हैं। दवा का उपयोग विभिन्न परिस्थितियों के हिसाब से भिन्न संयोजनों में किया जाता है। उदाहरण के लिए, कुछ TB दवाओं का उपयोग केवल नए रोगियों के उपचार के लिए किया जाता है जिन को दवा-प्रतिरोध TB होने की संभावना बहुत कम होती है।

कुछ अन्य दवाएं भी हैं जो केवल दवा-प्रतिरोधी TB के उपचार के लिए उपयोग की जाती हैं। कई TB दवाओं को एक साथ लेना आवश्यक है। यदि केवल एक टीबी दवा ली जाती है, तो रोगी बहुत जल्द उस दवा के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है।

क्षय रोग की दवा

सभी प्रथम पंक्ति एंटी-ट्यूबरकुलस दवा के नामों का एक मापदंड है जो की तीन-अक्षर और एकल-शब्द का संक्षिप्त नाम होता है:
  • आइसोनियाजिड (isoniazid) आईएनएच (INH) या एच (H) है
  • एंबंबूटोल (ethambutol) ईएमबी (EMB) या ई (E) है
  • पिराजिनामाइड (pyrazinamide) पीजेए (PZA) या ज़ेड (Z) है
  • राइफैम्पिसिन (rifampicin) आरएमपी (RMP) या आर (R) है
  • स्ट्रेप्टोमाइसिन (streptomycin) एसएम (SM) या एस (S) है
दूसरी पंक्ति दवाओं का उपयोग केवल उस बीमारी के इलाज के लिए किया जाता है जो पहली पंक्ति चिकित्सा के प्रति प्रतिरोधी हो गया हो जैसे XDR-TB या MDR-TB। एक दवा को तीन में से किसी एक संभावित कारणों के कारण पहली-लाइन के बजाय दूसरी-लाइन के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है: ये पहली लाइन की दवाओं से कम प्रभावी हो, या इसमें विषैले दुष्प्रभाव हो, या ये प्रभावी हो, पर ये कई विकासशील देशों में अनुपलब्ध हो।
  • एमिनोग्लाइक्साइड्स (aminoglycosides): उदाहरण के लिए, अमीकैसिन (amikacin), कनामाइसिन (kanamycin)
  • पॉलीपेप्टाइड (polypeptides): उदाहरण के लिए, कैप्रोमासायन (capreomycin), वियोमीसीन (viomycin), एनवीयोमासीन (enviomycin)
  • फ्लोरोक्विनॉलोन (fluoroquinolones): उदाहरण के लिए, सीप्रोफ्लॉक्सासिन (ciprofloxacin), लेवोफ़्लॉक्सासिन (levofloxacin), मोक्सीफ्लोक्सासिन (moxifloxacin)
  • थियोमाइड्स (thioamides): उदाहरण के लिए, एथिओनामाइड (ethionamide), प्रोथियॉनमाइड (prothionamide)
  • साइक्लोसेरीन (cycloserine)
  • बेडकाक्लिन (bedaquiline): (एमडीआर-टीबी के लिए अच्छा है)
  • मैक्रोलाइड्स (macrolides): उदाहरण के लिए क्लेरिथ्रोमैसीन (clarithromycin)
तीसरी-लाइन दवाओं में वो दवाएं शामिल हैं जो उपयोगी तो हो सकती हैं, लेकिन उनकी उपयोगिता या तो अभी सिद्ध नहीं हुई है या उन पे अभी प्रश्न चिन्ह है:
  • रइफबोटिन (rifabutin)
  • क्लोफाज़िमयीन (clofazimine)
  • लिनेज़ोलिद (linezolid)
  • थिओसेटाज़ोन (thioacetazone)
  • विटामिन डी
यहां जो दवाएं सूचीबद्ध की गईं हैं या तो वो प्रभावकारी नहीं हैं या उनकी गुण-कारिता अभी सिद्ध नहीं हुई है।

मामलों के प्रकार

  • नया मामला: वो मरीज जिसने कभी टीबी का इलाज नहीं करवाया या वो जो एक महीने से भी कम समय से टीबी की दवाएं ले रहें हों।
  • पुनरावर्तन केस: वो मरीज जिनको चिकित्सक द्वारा क्षय रोग मुक्त घोषित करने के बाद वो दुबारा क्षय रोग के जीवाणु से ग्रसित पाया जाए।
  • मामले में हस्तांतरित: एक रोगी जिसका इलाज एक ट्यूबरकुलोसिस यूनिट/ज़िले में शुरू होने के बाद दूसरे ट्यूबरकुलोसिस यूनिट/ज़िले में इलाज के लिए भेजा गया हो।
  • दवा छोड़ने के बाद उपचार: वो मरीज जिसने किसी भी स्रोत से एक माह या उस से ज़्यादा टीबी का उपचार प्राप्त किया हो और जिसने उपचार को दो महीने से अधिक समय तक रोक दिया हो।
  • विफल मामला: वो मरीज़ जो शुरू में टीबी से ग्रसित पाया गया और इलाज के शुरू होने के 5 माह बाद भी टीबी से ग्रसित रहा या शुरू में टीबी से नकारात्मक पाए गए मरीज़ इलाज के दौरान टीबी से ग्रसित हो जाए।
  • गंभीर मामला: वो मरीज जो दुबारा इलाज के बाद भी टीबी से ग्रसित पाया जाए।
  • अन्य: ऐसे मरीज जो उपरोक्त श्रेणियों में से किसी में फिट नहीं होते। उदाहरण के लिए, वो पुनरावर्तन रोगी जो हो सकता है TB से नकारात्मक पाए जाए या एक्सट्रा पल्मोमनरी टीबी (जब संक्रमण फेफरों के इलावा शरीर के अन्य भाग में हो जाए) रोगी जिस पे इलाज का कोई असर नहीं हुआ हो। ऐसे मरीजों को दूसरों श्रेणी में वर्गीकृत किया जाता है और उन्हें श्रेणी दो के उपचार दिए जाते हैं।

बीमारी की गंभीरता / प्रकार के आधार पर उपचार को विभिन्न श्रेणियों बाँटा जाता है।
  • नए रोगियों के इलाज के लिए श्रेणी 1
  • पहले इलाज वाले रोगियों के लिए श्रेणी 2
  • श्रेणी 3 का प्रयोग नहीं किया जाता है
  • एमडीआर-टीबी के इलाज की आवश्यकता वाले रोगियों के लिए श्रेणी 4
  • XDR टीबी के इलाज की आवश्यकता वाले रोगियों के लिए श्रेणी 5
नए टीबी रोगियों का इलाज
भारत में सभी नए टीबी रोगियों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रथम-लाइन उपचार पथ्य (पथ्य का अर्थ है इलाज के लिए निर्धारित तरीके, इस मामले में वो टीबी की दवा है) प्राप्त करना चाहिए। शुरूआती चरण की दवाओं के दो महीने के खुराक में आइसोनियाजिड (एच), रिफाम्पिकिन (आर), पायराजिनामाइड (जेड) और एथम्बूटोल (ई) होनी चाहिए। निरंतरता चरण में कम से कम चार महीनों के लिए आइसोनियाजिड, रिफामपिसिन और एथम्बूटोल की तीन दवाओं का होना जरूरी है। विशेष परिस्थितियों में, निरंतरता चरण तीन से छह माह तक बढ़ाया जा सकता है। दवा की मात्रा रोगी के शरीर के वजन के अनुसार दी जानी चाहिए।

पहले इलाज ले चुके मरीज
पहले इलाज वाले रोगियों के साथ, एमडीआर-टीबी (MDR-TB) या आर (R) प्रतिरोध सबसे पहले एक गुणवत्ता आश्वासन परीक्षण के बाद खारिज कर देना चाहिए। तब अगर टीबी रोगी:
  • इलाज जारी नहीं रख पाने के बाद दुबारा लौट रहे हों
    या
  • अपने पहले उपचार के बाद फिर से रोगग्रस्त हो गए हो
    या
  • वे नए टीबी रोगी जो अपने पहले उपचार पाठ्यक्रम के परती बेअसर हो रहे हों
तो उन्हें नए टीबी रोगियों की तरह ही पहली-लाइन दवा दी जाती है साथ ही गहन चरण में स्ट्रेप्टोमाइसिन का इस्तेमाल इसमें एक मुख्य अंत्र है। यह संस्तुत आश्चर्यजनक है लेकिन यह अभी समीक्षाधीन है, क्योंकि असफल होते इलाज में केवल एक दवा को जोडना, आमतौर पे टीबी चिकित्सा में कभी नहीं करना चाहिए। अगर दवा की संवेदनशीलता परीक्षण उपलब्ध है, तो यह एक बेहतर मार्गदर्शिका हो सकता है ये तय करने का के दुबारा इलाज पथ्य में क्या शामिल होना चाहिए।

उपचार श्रेणियों 4 और 5 के इलाज का लेख दवा प्रतिरोधी टीबी (ड्रग रेसिस्टेंट टीबी) में हैं।

दुष्प्रभाव

टीबी उपचार में लोगों की मदद करने के लिए दवा के दुष्प्रभाव को प्रबंधित करना बहुत महत्त्वपूर्ण है। किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर टीबी के प्रभाव को कम करने और बीमारी को फैलाने से रोकने के लिए यह महत्त्वपूर्ण है। सामान्य तौर पर, दवा-संवेदनशील टीबी का इलाज करने वाली पहली लाइन की दवाएं दवा प्रतिरोधी टीबी के लिए दूसरी लाइन दवाओं से कारगर होती हैं। आम दुष्प्रभाव में शामिल हैं:
  • बीमार या चक्कर महसूस करना
  • त्वचा पे चकत्ते
  • चुभता हुआ दर्द
  • फ्लू जैसे लक्षण
  • कुछ मामलों में लोगों को पीलिया का अनुभव भी हो सकता है, जो त्वचा या आँखों का पीला होना है। यदि ऐसा होता है, तो अपनी दवा लेना बंद करें और तुरंत अपने डॉक्टर को बताएं।
रोगियों को अपने डॉक्टर को किसी भी दुष्प्रभाव के बारे में हमेशा बताना चाहिए, क्योंकि टीबी की दवाएं बदली जा सकती हैं। इलाज शुरू करने से पहले टीबी के रोगी का जिगर और गुर्दे की समस्याओं का परीक्षण किया जाना चाहिए। उन्हें उपचार के दौरान निगरानी और खुराक समायोजन की आवश्यकता भी हो सकती है। रोगियों के दुष्प्रभावों का प्रबंधन करने में सहायता करने के कई तरीके हैं, जिनमें प्रत्यक्ष रूप से अवलोकन (डॉट्स) शामिल है। अगर सहारा मिले तो टीबी वाले अधिकांश रोगी प्रभावी रूप से दवाओं के दुष्प्रभावों को प्रबंधित करने में सक्षम हो सकते हैं।

डॉट्स क्या है?

डॉट्स अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुझाया क्षय रोग के रोक-थाम के लिए एक छोटा कोर्स है जिसे अत्यधिक कुशल और सस्ती रणनीति के रूप में मान्यता दी गई है। डॉट्स में पांच अंग होते हैं।
  • निरंतर राजनीतिक और वित्तीय प्रतिबद्धता। यदि पर्याप्त संसाधन और टीबी नियन्त्रण के लिए प्रशासनिक सहायता प्रदान की जाये तो टीबी ठीक हो सकता है और महामारी को रोका जा सकता है।
  • गुणवत्ता से निदान स्पुटम-स्मीयर माइक्रोस्कोपी। छाती के लक्षणों की इस तरह से जाँच, संक्रमक रोगियों को सही से ढूंढ ने में मदद करता है
  • मानकीकृत लघु-कोर्स एंटी-टीबी उपचार (एससीसी) प्रत्यक्ष और सहायक अवलोकन (डॉट्स) के अन्तर्गत आता है। यह सुनिश्चित करने में मदद करता है की सही दवाओं को उपचार की पूरी अवधि में सही समय पर लिया जाए।
  • उच्च गुणवत्ता वाला एंटी-टीबी ड्रग्स का एक नियमित, निर्बाध आपूर्ति यह सुनिश्चित करता है कि एक विश्वसनीय राष्ट्रीय टीबी प्रोग्राम से कोई दूर न भागे।
  • मानकीकृत रिकार्डिंग और रिपोर्टिंग। प्रत्येक मरीज का ट्रैक रखने और समग्र कार्यक्रम प्रदर्शन की निगरानी में मदद करता है


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