क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD): प्रमुख जानकारी और निदान

क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) क्या है?

क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) केवल एक रोग नहीं है बल्कि यह फेफड़ों के दीर्घकालीन रोगों को दर्शाने वाला चिकित्सीय शब्द है, इन रोगों का नाम ब्रोंकाइटिस और एम्फायसेमा है जो फेफड़ों में हवा के आने-जाने को सीमित करते हैं।
  • क्रोनिक अर्थात दीर्घकालीन या लगातार बना हुआ।
  • ब्रोंकाइटिस अर्थात ब्रांकाई (फेफड़ों में हवा आने-जाने के स्थान) में सूजन।
  • एम्फायसेमा अर्थात फेफड़ों में हवा के छोटे स्थानों और छोटी थैलियों (अल्वेओली) को क्षति होना।
  • पल्मोनरी अर्थात फेफड़ों को प्रभावित करने वाला।

रोग अवधि

सीओपीडी लम्बे समय तक बने रहने वाला (क्रोनिक) रोग है। लक्षणों की गंभीरता के आधार पर यह कुछ सप्ताहों से लेकर कई महीनों तक का हो सकता है। वर्तमान में सीओपीडी का कोई उपचार नहीं है। इस स्थिति का नियंत्रण औषधियों या जीवन शैली में परिवर्तन द्वारा किया जाना चाहिए।

जाँच और परीक्षण

रोग का निर्धारण शारीरिक परीक्षण और सुझाई गई अन्य जाँचों द्वारा होता है, इन जाँचों में हैं:
  • स्पाइरोमेट्री
  • रक्त या बलगम का परीक्षण।
  • एक्स-रे और सीटी स्केन्स।
  • अर्टीरीअल ब्लड गैस एनालिसिस और ओक्सिमेट्री।

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

1. सीओपीडी क्या है?
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) को ऐसे रोग के रूप में समझाया जाता है जिसमें हवा का आना जाना सीमित होता है और जिसमें एक बार हो जाने के बाद पूरी तरह बदलाव नहीं किया जा सकता। सीओपीडी में; एम्फायसेमा, संरचनात्मक रूप से समझाई जाने वाली स्थिति जिसमें फेफड़ों में हवा हेतु होने वाली थैलीनुमा रचना या तो नष्ट हो जाती है या उसका आकार बढ़ जाता है; दीर्घकालीन ब्रोंकाइटिस, लम्बे समय से बनी हुई खाँसी और बलगम की उपस्थिति द्वारा दर्शाई जाने वाली स्थिति, और हवा के आने-जाने वाली छोटी नलिकाओं के रोग, जिसमें यह नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं, ये सभी आते हैं।

2. क्या यह रोग अनुवांशिक रूप से प्रसारित होता है? हालाँकि सिगरेट पीना सीओपीडी के उत्पन्न होने का सबसे बड़ा वातावरण सम्बन्धी कारण होता है, धूम्रपान करने वालों में हवा के मार्ग के अवरुद्ध होने की स्थिति अलग-अलग होती है। अल्फा 1 एंटीट्रिप्सिन की गंभीर रूप से कमी होना सीओपीडी के लिए घोषित अनुवांशिक रूप से खतरे का कारण है; अन्य अनुवांशिक कारकों की उपस्थिति के प्रमाण भी बढ़ते जा रहे हैं।

3. क्या इससे फेफड़ों का कैंसर होता है?
जी हाँ, सीओपीडी फेफड़ों के कैंसर तक पहुँच सकता है और इसके शुरुआती संकेतों में नाखूनों में उत्पन्न होने वाली नई विकृति अर्थात उँगलियों का आपस में जुड़ना है।

4. ऐसे रोग से पीड़ित होने पर क्या करना चाहिए?
व्यक्ति को चाहिए कि आपने फेफड़ों को उत्तेजित करने वाली वस्तुएं ना लें जैसे धुआं और वायु प्रदूषण या अपने घर में वायु स्वच्छक का प्रयोग करें। जितना हो सके उतना सबल बने रहने के लिए नियमित व्यायाम करें। अपनी शक्ति को बनाए रखने के लिए उचित प्रकार से आहार लें।

5. व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए?
व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए यदि उसे श्वास लेने में गंभीर रूप से कमी हो या बलगम युक्त या बलगम बिना बार-बार खाँसी हो जिसके साथ छाती में जकड़न और अत्यंत थकावट भी हो। होठों या नाखूनों की जड़ों में नीलापन सायनोटिक स्थिति को प्रदर्शित करता है जिसके लिए तुरंत चिकित्सीय सलाह की आवश्यकता होती है।

 
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