ऊँचाई की बीमारी (पहाड़ों पर जी मिचलाना): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

परहेज और आहार

लेने योग्य आहार
  • कार्बोहायड्रेट अधिक मात्रा में लें जिनमें ब्रेड, दलिया, अनाज और पास्ता आते हैं।
  • तरल पदार्थ अधिक पीएँ।
  • विटामिन E और खनिज तत्व जैसे सेलेनियम।
  • मशरुम, अदरक का रस, और लहसुन का सूप सहायक होते हैं।
इनसे परहेज करे
  • अधिक नमक से परहेज।
  • शराब और धूम्रपान से परहेज।

योग और व्यायाम

योग श्वसन सम्बन्धी व्यायाम जैसे कि प्राणायाम, बारी-बारी दोनों नथुनों से श्वास लेना और ध्यान द्वारा ऑक्सीजन धारण करने की क्षमता बढ़ती है, रक्तसंचार ठीक होता है, ग्रंथि तंत्र संतुलित होता है, तंत्रिका तंत्र शक्तिशाली होता है, और आत्मबोध, बल, तथा मन की शांति बढ़ती है। ध्यान देंयदि अत्यंत उच्च या निम्न रक्तचाप, ग्लूकोमा, रेटिना का अलग होना, कान की समस्याएँ, ओस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना), सर्वाइकल स्पोंडिलाईटिस, ह्रदय अथवा फेफड़ों के रोग और मेरुदंड की डिस्क का रोग हो तो योग की कुछ विधियाँ और उल्टी स्थिति में किये जाने वाले आसनों से बचना चाहिए।

घरेलू उपाय (उपचार)

  • ऊँचे स्थानों पर अधिक मात्रा में पानी पिएँ, जिससे शरीर सामान्य की अपेक्षा जल्दी जलयुक्त हो सके।
  • जब भी पैदल चढ़ें, खासकर पहाड़ी इलाकों में, तो छोटी और जोरदार साँस लें और छोड़ें। योग की लम्बी श्वास ना लें. अपना ध्यान अपनी श्वास पर रखें।
  • भोजन बिना लम्बी दूरी तक नहीं जाना, ये निश्चित करें। रास्ते भर हल्का फुल्का खाते रहें, किन्तु किसी एक वस्तु की बहुत अधिक मात्रा ना खाएँ।
  • हमेशा निचले स्थानों पर सोएँ।
  • यदि आप एक्यूट माउंटेन सिकनेस (एएमएस) के हलके लक्षणों से पीड़ित हों, तो जहाँ हैं, उसी ऊँचाई पर विश्राम करें।
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