पिरिफोर्मिस सिंड्रोम (कूल्हे का दर्द): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

परहेज और आहार

लेने योग्य आहार
  • शरीर की रोग से उबरने वाली प्रक्रिया में सहायता के लिए मछली बढ़िया आहार है।
  • ताजा अन्नानास, सभी प्रकार की बेरियाँ सूजन कम करके ठीक होने में सहायता करती हैं और प्रतिरक्षक तंत्र को भी उन्नत करती हैं।
  • मसाले जैसे हल्दी, लहसुन, अदरक स्वभाव से सूजनरोधी होते हैं।
  • बी विटामिन अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं और हरे मटर, पालक, नेवी बीन, मेवों, पिंटोबीन, केले, रतालू, साबुत अनाज का शक्तियुक्त दलिया और ब्रेड, तथा पॉलिश रहित चावल और दालों में पाए जाते हैं।
  • विटामिन ए से समृद्ध आहार, जैसे डेरी उत्पाद- दूध, पनीर और दही, गाजर, गहरे हरे रंग वाली पत्तेदार सब्जियाँ, नारंगी रंग के फलों जैसे आम और खुबानी, शक्तियुक्त मार्जरीन, अंडे, मैकरील और अन्य तैलीय मछलियों में पाया जाता है।
  • बीटा-कैरोटीन से समृद्ध आहार जैसे ब्रोकोली, खुबानी, गाजर और रतालू।
  • विटामिन सी से समृद्ध आहार खासकर खट्टे, सामान्य आलू और रतालू, पत्तागोभी, पालक, ब्रोकोली, टमाटर, और हरी तथा पीली सब्जियाँ।
  • विटामिन ‘के’ (vitamin K) के स्रोतों में ब्रोकोली, पालक, अल्फाल्फा, वनस्पति तेल और दलिया हैं।
  • पानी अधिक मात्रा में पियें। सर्वोत्तम स्तर पर कार्य करने के लिए आपके शरीर को पर्याप्त जल की आवश्यकता होती है। वयस्कों को एक दिन में 1.5-3 लीटर तक जल की आवश्यकता होती है।
इनसे परहेज करें
  • वसायुक्त और तैलीय आहार।
  • रिफाइंड और प्रोसेस्ड आहार।

योग और व्यायाम

  • पिरिफोर्मिस स्ट्रेच
  • स्टैंडिंग हेमस्ट्रिंग स्ट्रेच।
  • कूल्हे को बलपूर्वक उठाना (इलास्टिक ट्यूब के साथ)।
  • पार्शियल कर्ल
  • प्रोन हिप एक्सटेंशन (मुड़े पैर से)।
  • क्वाड्रेप्ड आर्म/लेग रेसेस।
  • मालिश आपकी पिरिफोर्मिस में दर्द और ऐंठन को कम करने में और रक्तप्रवाह बढ़ाने में सहायता करती है।
  • एक्यूपंक्चर या सूखी सुई का प्रयोग कूल्हों के आस-पास मांसपेशियों के कसे या तंग होने को घटाता है।
पिरिफोर्मिस सिंड्रोम के उपचार में सहायता करने वाले योगासनों में हैं:
  • अर्द्ध मत्स्येन्द्रासन।
  • अग्निस्तम्भासन
  • गोमुखासन
  • कपोतासन

घरेलू उपाय (उपचार)

  • अपने कूल्हों पर, पहले 2 से 3 दिनों तक या जब तक कि दर्द चला ना जाए, हर 3 से 4 घंटों में, 20 से 30 मिनटों के लिए बर्फ/गर्म पैक लगाएँ।
  • विश्राम करें।
  • बैठते, वाहन चलाते या खड़े रहते समय उचित शारीरिक भंगिमा रखें।
  • अपने कूल्हों पर अत्यधिक वजन या दबाव डालने वाली स्थिति में लम्बे समय तक बैठना या लेटना ना करें।
  • एक तौलिये को डोनट, या टॉयलेट सीट, के आकार में मोड़ें और इसे बैठने के लिए गद्दे के रूप में प्रयोग करें। यह तरीका लम्बे समय तक बैठे रहने वाले व्यक्तियों के लिए अत्यंत सहायक होता है।





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