योग, लाभ और जीवन

पिछले वर्ष योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली और हमारे देश ने इसे अत्यंत उत्साह के साथ मनाया।

भारत में लगभग 4000 वर्षों से भी पहले आरंभ हुआ योग, अपने आसनों, श्वसन व्यायामों और ध्यान की श्रृंखला के माध्यम से शरीर और मन को जोड़ता है। योग, माँसपेशियों की स्ट्रेचिंग और टोनिंग द्वारा, रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाकर और मन को भीतर की तरफ एकाग्र करके तनाव को घटाने में सहायता करता है।

योग को रक्तचाप, हृदयगति, वजन और खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम करने के लिए जाना जाता है और ये सभी व्यक्ति के ह्रदय रोग के खतरे को कम कर सकते हैं। एक अध्ययन में साठ मिनट के योग सत्र ने गाबा(GABA) के स्तरों को बढ़ा दिया और गाबा(GABA) के घटे हुए स्तर अवसाद और बेचैनी के विकारों से जुड़े हुए पाए गए, इसके अलावा एक अन्य अध्ययन में, मस्तिष्क में अल्फा तरंगों को बढ़ाने से शांति को बढ़ा हुआ पाया गया और इसने कोर्टिसोल, वह हॉर्मोन जो शरीर तनाव की प्रतिक्रिया के लिए उत्सर्जित करता है, की मात्रा को भी घटा दिया। श्वसन सम्बन्धी व्यायाम, साँस को रोकने वाले रोगों को घटाने में उपयोगी पाए गए। योग माइग्रेन में और माँसपेशियों तथा कमर के दर्द की समस्या, आर्थराइटिस में भी लाभकारी पाया गया है, तथा विभिन्न योगासन मालिश की तरह कार्य करते हैं।

योग आपको अधिक सुगठित और स्वस्थ बनाता है और आपको, खासकर अधिक आयु के लोगों को, सरलता से कार्य करने में सहायता करता है। योग करने के विभिन्न तरीके हैं और आप जो भी तरीका चुनें, उसे शुरुआत में धीरे-धीरे करें और शुरुआत में ही बहुत प्रकार के आसनों को करने का प्रयास ना करें।

लाभदायक ध्यान करने के लिए हमें गुस्से को जीतना होगा, लेकिन गुस्से को जीतने के लिए हमें ध्यान करना होगा। यह बहुत हद तक कैच-22 स्थिति नहीं है, हालाँकि, यह सफलता का चक्र है।

ध्यान द्वारा आपका मन व्यवस्थित होता है, आपके सोचने का तरीका ही आपके महसूस करने का तरीका होता है, आपकी भावनाएँ व्यवस्थित हो जाती हैं, एक बार आपके विचार और भावनाएँ क्रमबद्ध हो गए, तो आपकी ऊर्जा एक निश्चित मार्ग पर ही जाती है। और फिर आपका पूरा शरीर व्यवस्थित हो जाता है। एक बार ये चारों एक दिशा में जुट गए, तो आप जो चाहते हैं उसे निर्मित और अभिव्यक्त करने की आपकी क्षमता अद्भुत हो जाती है।

ईश्वर और प्रत्येक दिव्य वस्तु आपके भीतर और आपके आस-पास के हर व्यक्ति में है। यदि आपके भीतर प्रसन्नता होगी, तो आप झगड़ा नहीं करेंगे। और इस प्रसन्नता को प्राप्त करने के लिए आपको हर व्यक्ति में दिव्यता खोजनी होगी।

इस व्यस्त और दौड़भाग भरे जीवन में हमें कुछ समय निकालना चाहिए और शुरुआत करने के लिए कुछ सरल आसन जैसे सुखासन, पद्मासन, बालासन, भुजंगासन, उष्ट्रासन आदि करने चाहिए। व्यक्ति इन्हें गूगल पर देख और सीख सकता है किन्तु वृद्ध व्यक्तियों को लम्बे समय से चली आ रही अपनी बीमारियों का ध्यान रखते हुए कुछ आसनों को करने में सावधान रहना चाहिए।

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