येलो फीवर (पीला बुखार): प्रमुख जानकारी और निदान

येलो फीवर (पीला बुखार) क्या है?

येलो फीवर (पीत ज्वर-पीला बुखार) वायरस द्वारा उत्पन्न एक तीव्र हेमोरेजिक (क्षतिग्रस्त रक्तवाहिनियों में रक्त प्रवाह होने वाला) रोग है जो मनुष्यों में संक्रमित मच्छर के काटने से होता है। रोग के नाम में येलो शब्द पीलिया को इंगित करता है जो कुछ रोगियों को प्रभावित करता है। यह सिस्टमिक रोग है अर्थात यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है।
jaundice

रोग अवधि

ये 3 से 4 दिनों में ठीक हो जाता है, लेकिन यदि व्यक्ति 4 दिनों में ठीक ना हो तो ये गंभीर हो सकता है।

जाँच और परीक्षण

  • चिकित्सीय इतिहास
  • रक्त परीक्षण (ईएलआईएसए और पीसीआर)
  • यात्राओं की जानकारी

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

1.येलो फीवर वैक्सीन लगवाने के कितने समय बाद तक एक महिला को गर्भधारण के लिए प्रतीक्षा करनी चाहिए?
येलो फीवर वैक्सीन कई गर्भवती महिलाओं को दिए जाने पर गर्भस्थ शिशु पर इसका कोई दुष्परिणाम नहीं पाया गया है। हालाँकि, चूंकि येलो फीवर वैक्सीन जीवित वायरस वैक्सीन है, इसलिए यह सैद्धांतिक रूप से खतरा हो सकती है। वैसे तो येलो फीवर वैक्सीन और गर्भाधान के बीच दो सप्ताह का अन्तर पर्याप्त है, लेकिन अधिक सुरक्षा की दृष्टि से एक माह के अंतर की सलाह दी जाती है। यदि किसी गर्भवती महिला को अनजाने में या आवश्यकता के कारण वैक्सीन लगाई जाती है तो उसे इसके कारण कोई समस्या नहीं होती है, और उसके बच्चे के स्वस्थ जन्म लेने की सम्भावना ही होती है।

2.येलो फीवर का उपचार क्या है?
येलो फीवर के रोगियों हेतु कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। यदि संभव हो तो येलो फीवर ग्रस्त रोगियों को उनके लक्षणों की चिकित्सा हेतु अस्पताल में भर्ती करना चाहिए और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उनकी बारीकी से देखभाल की जानी चाहिए।
आराम, तरल पदार्थों का सेवन और दर्दनिवारक तथा बुखार कम करने वाली औषधियों के प्रयोग से दर्द और बुखार के लक्षण शान्त हो जाते हैं।
कुछ दवाएँ जैसे एस्पिरिन या नॉन-स्टेरोइडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग (आइबूप्रोफेन और नेप्रोक्सेन) नहीं लेना चाहिए क्योंकि इनसे रक्तस्राव के बढ़ने का खतरा होता है।

3. मैं विदेश यात्रा पर जाना चाहता हूँ, येलो फीवर वैक्सीन के कितने डोस लेने के पश्चात मैं जा सकता हूँ?
त्वचा के भीतर दिए जाने वाले 0.5 मिली के केवल एक इंजेक्शन से 10 दिनों में प्रतिरक्षा शक्ति विकसित होती है जो अगले 10 वर्षों तक बनी रहती है। हर देश में टीकाकरण कार्ड की आवश्यकता नहीं होती। यह येलो फीवर की अधिकता वाले केवल कुछ देशों में ही अनिवार्य है। सेंटर्स फोर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन (wwwnc.cdc.gov/travel) द्वारा येलो फीवर वितरण में परिवर्तन और येलो फीवर की वैक्सीन की आवश्यकता का समय रहते पता किया जा सकता है।

4. 9 माह से कम आयु के बच्चों को येलो फीवर वैक्सीन की सलाह क्यों नहीं दी जाती है?
6 माह तक की आयु के बच्चों में मस्तिष्क की सूजन सम्बन्धी कई मामलों में टीकाकरण को जुड़ा पाया गया है, इसलिए जब तक कि येलो फीवर की चपेट में आने का खतरा बहुत अधिक ना हो, इसे 12 माह से अधिक की आयु तक के लिए टालना चाहिए।



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