वृद्धावस्था और पोषण

आखिरकार बुढ़ापा हरेक को घेर लेता है। बुढ़ापे के कारण शरीर के क्षय होने से सम्बन्धित रोग हृदय, रक्तवाहिनियों, हड्डियों और जोड़ों को चपेट में ले लेते हैं। इसका मुकाबला करने के लिए शारीरिक सक्रियता और व्यायाम बहुत जरूरी हैं। ध्यान रखने योग्य कुछ सामान्य बातें यहाँ बताई गई हैं:
  • बुढ़ापा शरीर की मेटाबोलिक दर, पाचनशक्ति, गुर्दे की कार्यक्षमता आदि में कमी कर देता है। इसका सीधा असर दवाओं की खुराक पर पड़ता है, जो कि 20-25% तक कम होनी चाहिए।
  • मोटापा ह्रदय रोगों, मस्तिष्क आघात, उच्च रक्तचाप और शुगर की बीमारी तक ले जा सकता है। इसलिए नियमित रूप से प्रतिदिन तेज गति से 30 मिनट पैदल चलने की सलाह दी जाती है।
  • वृद्धावस्था में कम से कम 5-6 घंटों की नींद की आवश्यकता होती है। दोपहर में सोने का त्याग और देर रात्रि तक सक्रिय रहना बंद करने से रात्रि में बढ़िया नींद लाने में मदद मिलती है। दोपहर में घंटों सोने के मुकाबले 20 मिनट की झपकी लेना बेहतर होता है।
  • मस्तिष्क एक माँसपेशी की भांति है जिसे डिमेंशिया और अल्झाइमर जैसी स्थितियों से बचाव के लिए मानसिक व्यायाम की आवश्यकता होती है।
  • अगले दस सालों में अवसाद वृद्धावस्था की सबसे बड़ी बीमारी होगा। सक्रिय सामाजिक और पारिवारिक जीवन, दादा-दादी होना और मित्रों/रिश्तेदारों से मिलने वाला सहयोग अवसाद का सर्वश्रेष्ठ प्रत्युत्तर है।


भोजन और पोषण

वृद्धावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तन 50 वर्ष की आयु के बाद कैलरी की आवश्यकता को 5% तक कम कर देते हैं और 60 वर्ष की आयु के बाद, अगले हर 10 वर्षों के लिए ये कमी 10% की दर से बढ़ती जाती है। इसका अर्थ है कि 80 वर्षीय वृद्ध को, किसी युवा वयस्क द्वारा ली जाने वाली कैलोरी से, केवल दो-तिहाई कैलोरी लेने की आवश्यकता होती है।

सामान्य रूप से भोजन आसानी से पचने वाला होना चाहिए। असुविधा से बचने के लिए इसमें वसा की मात्रा निम्न होनी चाहिए। आहार में सब्जियाँ, फल, साबुत-अनाज, कम वसायुक्त दूध/पनीर, और कम तेल युक्त लीन मीट होना चाहिए।
  • फल, जिनमें सूखे मेवे भी हैं, और सब्जियाँ; विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करते हैं, जिनसे सामान्यतया शरीर की क्षति और क्षय से मुकाबले में मदद मिलती है।
  • शारीरिक चोटों से बचने के लिए अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य हेतु सूर्य से प्राप्त होने वाला विटामिन-डी और कैल्शियम से समृद्ध आहार जरूरी हैं।
  • रेशे का उच्च मात्रा में सेवन कब्ज दूर करता है और कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है।
  • गुर्दे की कार्यक्षमता को बढ़िया बनाए रखने के लिए प्रोटीन का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।
  • सफ़ेद रंग के पदार्थों जैसे रिफाइंड शक्कर, नमक, और मैदा से परहेज करें।
  • नींद के दौरान बार-बार मूत्रत्याग से बचने और इसके कारण नींद में होने वाली बाधा को दूर करने के लिए सोने से पहले दूध या जूस जैसे तरल पदार्थों का सेवन ना करें।