उच्च रक्तचाप हेतु दवाईयाँ

हाइपरटेंशन का उपचार जीवनशैली मे परिवर्तनों से ही आरंभ हो जाता है जैसे कि वजन घटाना, व्यायाम करना, धूम्रपान छोड़ना, आहार सम्बन्धी परिवर्तन करना और तनाव घटाना। हालाँकि, यदि हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने के लिए ये तरीके पर्याप्त ना हों, तो डॉक्टर एंटीहाइपरटेंसिव दवाएँ लिखते हैं।

एंटीहाइपरटेंसिव क्या हैं?

एंटीहाइपरटेंसिव (antihypertensives) दवाओं की ऐसी श्रेणी है, जो हाइपरटेंशन को ठीक करने हेतु प्रयोग की जाती हैं। लक्ष्य स्पष्ट है, हाइपरटेंशन को नियंत्रित करें और आप ह्रदय रोग के खतरे को कम कर सकते हैं।

बीपी के स्तरों की ही तरह इसकी दवाओं की संख्या भी लम्बी है। विभिन्न ड्रग श्रेणियों में लगभग सौ एंटीहाइपरटेंसिव दवाएँ उपलब्ध हैं और कई रोगियों को अपने हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने के लिए इन ड्रग के सम्मिलित रूप की आवश्यकता होती है। यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि कोई भी एक अकेला ड्रग अन्य से ऊँचा नहीं है।

ड्रग की विभिन्न श्रेणियाँ हैं:

  • डाईयूरेटिक (मूत्रवर्धक): ये औषधियाँ गुर्दों को जल और सोडियम शरीर से बाहर निकलने के लिए उत्प्रेरित करती हैं, और इस प्रकार ह्रदय द्वारा पंप की जाने वाली रक्त की कुल मात्रा को घटाती हैं। हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड सबसे आम है।
  • बीटा-ब्लॉकर्स: बीटा-ब्लॉकर्स ह्रदयगति को उत्प्रेरित करने वाले कारकों, एपिनेफ्रीन और नारएपिनेफ्रीन के उत्सर्जन में संलग्न ग्रहणकारी कोशिकाओं को अवरुद्ध करते हैं। ये रक्तचाप को कम करते हैं, ह्रदयगति को धीमा और नियंत्रित करते हैं और ह्रदय के सिकुड़ने के जोर को घटाते हैं। मेटोप्रोलोल सबसे आम है।
  • एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (एआरबी): ये दवाएँ एंजियोटेंसिन को ह्रदय की कोशिकाओं आर रक्तवाहिनियों में प्रवेश करने से रोकती हैं, रक्तवाहिनियों को फैलाती है और उस दबाव को घटाती हैं, जिनके विरुद्ध ह्रदय को कार्य करना होता है।टेल्मिसार्टन, ओल्मेसार्टन, वेल्सार्टन, लोसार्टनआदि सबसे आम हैं।
  • कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स: कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स ह्रदय और रक्तवाहिनियों में स्थित माँसपेशियों के उतकों में कैल्शियम के भेदन को रोकते हैं। चूँकि माँसपेशियों को सिकुड़ने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स रक्तवाहिनियों को सिकुड़ने और फैलने में सक्षम करते हैं, जिससे रक्तचाप कम होता है। एम्लोडिपिन सबसे आम है।
  • एसीई (ऐस) इन्हिबिटर्स: ये औषधियाँ गुर्दे के भीतर एंजियोटेंसिन II और एलडेस्टेरोन नामक पदार्थों की उत्पत्ति को अवरुद्ध करके रक्तचाप को नियंत्रित करती हैं, ये पदार्थ प्राकृतिक रूप से रक्तवाहिनियों को संकुचित करते हैं और नमक और जल को शरीर में बनाए रखने का कार्य करते हैं। रेमिप्रिल सबसे आम है।
  • नसों को विस्तारित करने वाले (वेसोडाईलेटर्स):ऐस इन्हिबिटर्स और एआरबी के उलट, ये औषधियाँ रक्तवाहिनियों की दीवारों में स्थित माँसपेशियों को सीधे आराम देती हैं। इन माँसपेशियों को आराम देने से वाहिनियों द्वारा अधिक रक्त का प्रवाह होता है, जिससे ह्रदय जिसके विरुद्ध पंप करता है, उस अवरोध में कमी आती है।
  • सतही स्तर पर कार्य करने वाले कारक: इन्हें एड्रिनर्जिक इन्हिबिटर्स या तन्त्रिका तंत्र अवरोधक भी कहा जाता है, ये औषधियाँ तंत्रिकाओं के कार्य में बदलाव करती हैं ताकि रक्तवाहिनियों की दीवारें ढीली हों, रक्तवाहिनियाँ चौड़ी हों और रक्तचाप कम हो।
कई औषधियाँ हैं जो कि उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए सम्मिलित या संयोजी रूप से प्रयोग में लाई जाती हैं। सम्मिलित उपचार अर्थात प्रभाव को उन्नत करने के लिए, पहले ड्रग में रक्तचाप के उपचार की अन्य श्रेणी की औषधि मिलाना।

रक्तचाप की औषधियों की विभिन्न श्रेणियों के अलग-अलग दुष्प्रभाव हैं। रक्तचाप को औषधियों की कम खुराक से भी नियंत्रित किया जा सकता है, अर्थात उसमें विपरीत प्रभावों की संभावना कम होती है।

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