फरंक्युलोसिस (फोड़े): लक्षण और कारण

लक्षण

आमतौर पर फोड़े की शुरुआत त्वचा के भीतर छोटे, सख्त, लाल उभारों से होती है, जो छूने पर नरम और पीड़ायुक्त होता है। फोड़ों के होने के सबसे आम क्षेत्रों में वह होते हैं जहाँ घर्षण और/या वह स्थान जिनमें पसीना जमा होने की स्थिति बनती हो, जैसे कूल्हे, जांघें, बगलें, जाँघों का सामने वाला हिस्सा, गर्दन, कंधे और चेहरा आदि। उभार के आस-पास की त्वचा सूजी और लाल दिख सकती है। यह दर्द्युक्त, सूजी हुई, और सफ़ेद या पीले पीप से भरी हुई हो सकती है। कान की नलिका में फुंसी अत्यंत दर्द्युक्त होती है।

कारण

आमतौर पर संक्रमण एक प्रकार के बैक्टीरिया, जिसे स्टेफायलोकोकस औरियस कहते हैं, के द्वारा होता है। कई लोग इस जीवाणु के “वाहक” होते हैं, यह सामान्यतया उनकी त्वचा पर या उनकी नाक में, बिना उन्हें कोई हानि किये, निवास करता है। त्वचा की सतह पर हलके कटने-फटने के निशान (जो कि रगड़ या खुजाने से होते हैं), जीवाणु के भीतर प्रवेश में सहायता करते हैं और रोमकूप को संक्रमित करते हैं, जिसका परिणाम फोड़ा/फुंसी होता है।



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