एक्यूट कांटेक्ट डर्मेटाइटिस: प्रमुख जानकारी और निदान

एक्यूट कांटेक्ट डर्मेटाइटिस क्या है?

कांटेक्ट डर्मेटाइटिस (त्वचा पर संपर्क द्वारा उत्पन्न होने वाली सूजन) ऐसी स्थिति है जिसमें किसी उत्तेजक या विशिष्ट पदार्थ जिसे एलर्जन कहते हैं, के संपर्क में आने के बाद त्वचा लाल हो जाती है या सूज जाती है। एलर्जी द्वारा उत्पन्न डर्मेटाइटिस आमतौर पर चपेट में आने के 12 से 72 घंटों के मध्य दिखाई पड़ता है।
कांटेक्ट डर्मेटाइटिस के दो प्रकार होते हैं।
उत्तेजक कांटेक्ट डर्मेटाइटिस। यह तब होता है जब लोग किसी ऐसी वस्तु (उत्प्रेरक) को छूते हैं, जिसके प्रति वे संवेदनशील होते हैं। यह अधिक सामान्य प्रकार है।
एलर्जिक कांटेक्ट डर्मेटाइटिस। यह तब होता है जब लोग किसी ऐसी वस्तु को छूते हैं, जिससे उन्हें एलर्जी होती है।

रोग अवधि

कांटेक्ट डर्मेटाइटिस अन्य प्रकार की समस्याओं को उत्पन्न किये बिना 2 या 3 सप्ताहों में साफ़ हो जाता है। हालाँकि, यदि इसे उत्पन्न करने वाले पदार्थ या वस्तुओं से दूरी ना रखी जाए तो इसकी वापसी हो सकती है।

जाँच और परीक्षण

रोग का निर्धारण अधिकतर त्वचा की दिखाई देने वाली स्थिति और उत्प्रेरक या एलर्जन की चपेट के इतिहास से होता है। पैच टेस्ट (कांटेक्ट डिलेड हाइपरसेंसिटिविटी एलर्जी टेस्ट) की सलाह दी जा सकती है।

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

1. एसीडी क्या है?
एलर्जिक कांटेक्ट डर्मेटाइटिस (त्वचा पर संपर्क द्वारा उत्पन्न होने वाली सूजन) ऐसी स्थिति है जिसमें, किसी उत्तेजक या विशिष्ट पदार्थ जिसे एलर्जन कहते हैं, के संपर्क में आने के बाद त्वचा लाल हो जाती है या सूज जाती है। एलर्जी द्वारा उत्पन्न डर्मेटाइटिस आमतौर पर चपेट में आने के 12 से 72 घंटों के मध्य दिखाई पड़ता है।

2. एलर्जिक कांटेक्ट डर्मेटाइटिस कितने प्रकार का होता है?
कांटेक्ट डर्मेटाइटिस के दो प्रकार होते हैं।
उत्तेजक कांटेक्ट डर्मेटाइटिस। यह तब होता है जब लोग किसी ऐसी वस्तु (उत्प्रेरक) को छूते हैं, जिसके प्रति वे संवेदनशील होते हैं। यह अधिक सामान्य प्रकार है।
एलर्जिक कांटेक्ट डर्मेटाइटिस। यह तब होता है जब लोग किसी ऐसी वस्तु को छूते हैं, जिससे उन्हें एलर्जी होती है।

3. इसके लक्षण कौन से होते हैं?
कांटेक्ट डर्मेटाइटिस के संकेतों और लक्षणों में हैं: लाल निशान या उभरे हुए निशान, खुजली, जो कि गंभीर हो सकती है या सूखे, तड़के हुए, लाल निशान, जो कि जले हुए घाव की तरह दिखाई पड़ते हैं। गंभीर प्रतिक्रिया में फफोले होना, उनमें से तरल पदार्थ निकलना और पपड़ी जमना आदि होता है। दर्द या पीड़ा या लालिमा और सूजन और आँखों और चेहरे पर सूजन उपस्थित होती है।

4. ऐसी स्थिति से पीड़ित होने पर व्यक्ति को क्या करना चाहिए?
घाव या निशान उत्पन्न करने वाली वस्तु को न छुएँ। यदि चपेट के तुरंत बाद आप अपनी त्वचा को कोमल साबुन और ठन्डे पानी से धो लें, तो आप समस्या उत्पन्न करने वाले सभी या अधिकतर तत्वों से छुटकारा पा सकते हैं। यह लक्षणों को कम करने में सहायक होता है। फफोलों के लिए, दिन में तीन बार, फफोलों पर, 30-30 मिनट के लिए, ठन्डी नम पट्टियाँ लगाएँ। नमी और चिकनाई देने वाले पदार्थ लगाने से त्वचा को नम बने रहने में सहायता होती है, साथ ही त्वचा को स्वयं की मरम्मत करने में सहायता मिलती है। सुविधाजनक ठंडा स्नान करें। उचित और आरामदायक प्रकार से सिले हुए सूती वस्त्र पहनें। यह उत्तेजना को दूर रखने में आपकी सहायता करता है।

5. व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए?
यदि त्वचा लाल हो रही हो (या तो निशानों के रूप में या पूरे शरीर पर) या त्वचा पर रुक-रुक कर होने वाले सूखे, पपड़ीदार निशान हों या धब्बे या घाव हों या सूर्य के प्रति संवेदनशीलता हो या गहरी, “चमड़े जैसी” और तड़की हुई त्वचा हो या फफोले हों, जिनसे तरल पदार्थ बाहर निकलता है, तो व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आमतौर पर तीव्र जलन और खुजली, जो कि त्वचा पर दिखाई देने वाले घावों के बिना होती है या आँखों, चेहरे और (गंभीर स्थिति में) जननांगों पर सूजन की स्थिति में तुरंत चिकित्सीय सलाह की आवश्यकता होती है।



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