गेलेक्टोरिया: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

गेलेक्टोरिया स्तनों के चुचुकों से दूध जैसे पदार्थ का निकलना है जो गर्भावस्था पश्चात के स्तनपान से जुड़ा हुआ नहीं होता। दूध जैसा सफ़ेद पदार्थ एक या दोनों स्तनों से बह सकता है और स्तनों को उत्प्रेरित करने पर या किये बिना भी तरल निकल सकता है। यह स्थिति मुख्यतः महिलाओं में होती है। पुरुषों में यह अत्यंत कम होती है।

अक्सर इसे गर्भावस्था से असंबंधित गेलेक्टोरिया कहा जाता है। यह तब होता है जब शरीर अत्यधिक मात्रा में प्रोलेक्टिन (मस्तिष्क में स्थित पीयूष ग्रंथि द्वारा उत्पन्न हार्मोन जो किसी महिला द्वारा शिशु को जन्म देने के बाद दूध के उत्पादन को उत्प्रेरित करता है) उत्पन्न करता है।

गेलेक्टोरिया: रोकथाम और जटिलताएं

गेलेक्टोरिया रोकथाम – तंग कसे हुए कपड़े ना पहनें। अवैध ड्रग का प्रयोग ना करें।.

गेलेक्टोरिया: प्रमुख जानकारी और निदान

गेलेक्टोरिया स्तनों के चुचुकों से दूध जैसे पदार्थ का निकलना है जो गर्भावस्था पश्चात के स्तनपान से जुड़ा हुआ नहीं होता।.

गेलेक्टोरिया: लक्षण और कारण

गेलेक्टोरिया लक्षण – प्राथमिक लक्षण है चुचुक से दूध जैसे तरल का निकलना जो कि स्तनपान से जुड़ा हुआ नहीं होता। यह तरल एक या दोनों स्तनों से बाहर आ सकता है।. गेलेक्टोरिया कारण – पीयूष ग्रंथि की गांठें, औषधियाँ, गर्भावस्था, हार्मोन सम्बन्धी परिवर्तन.

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस: प्रमुख जानकारी और निदान

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस सिक्का (केसीएस) ऐसी स्थिति है जिसमें आँखों की सतह पर उपस्थित झिल्लियाँ, जिन्हें कंजंक्टिवा भी कहते हैं, आँखों को चिकना रखने व पोषण देने हेतु आवश्यक अश्रुओं की कम मात्रा के चलते लाल हो जाती हैं और उनपर सूजन आ जाती है।.

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस: लक्षण और कारण

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस लक्षण – आँख में जलन, खुजली या बाहरी वस्तु के होने का एहसास। प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता। कंजंक्टिवा का लाल या उत्तेजित होना।. केरेटोकंजंक्टिवाइटिस कारण – आयु, लिंग – हार्मोन सम्बन्धी परिवर्तनों के कारण महिलाओं में नेत्र शुष्क होने की समस्या उत्पन्न होने की संभावना अधिक होती है। औषधियां जैसे एलर्जीरोधक, नाक में अवरोध रोकने वाली, रक्तचाप सम्बन्धी और अवसादरोधी आदि।.

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस आहार – लेने योग्य आहार: ड्राई आई सिंड्रोम अक्सर केवल पानी का अधिक मात्रा में सेवन करने से सुधर जाता है। आवश्यक वसीय अम्ल के पोषक तत्व अश्रु झिल्ली की जलीय और तैलीय दोनों प्रकार की तरल परत के उत्पादन हेतु उत्तरदायी होते हैं। आवश्यक वसीय अम्लों के उत्तम भोज्य स्रोतों में मछली का तेल और ठन्डे जल की मछली जैसे सैलमन, हेलिबट, सारडाइन और ट्यूना आते हैं। अन्य बढ़िया स्रोतों में हैं अलसी के बीज और उनका तेल। एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध फल और सब्जियाँ लें जैसे स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी, क्रेनबेरी, अमरुद, पपीता और संतरे, सब्जियाँ: सब्जियों में गाजर, टमाटर, ब्रोकोली, शिमला मिर्च, फलियाँ, अर्टिचोक, फूलगोभी, हरी पत्तेदार सब्जियाँ आदि सभी एंटीऑक्सीडेंट के बढ़िया स्रोत हैं।

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस: रोकथाम और जटिलताएं

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस रोकथाम – अत्यधिक सूखे वातावरण में ना रहें। धूल और धुएँ से भरे क्षेत्रों में ना जाएँ। लम्बे समय तक देख कर किये जाने वाले कार्य ना करें। शरीर में जल की कमी ना होने दें, पानी का सेवन अधिक मात्रा में करें।.

कोंड्रोमलेसिया पटेला: प्रमुख जानकारी और निदान

कोंड्रोमलेसिया, जिसे धावक का घुटना (रनर्स नी) भी कहा जाता है, ऐसी स्थिति है जिसमें घुटने की टोपी (पटेला) की भीतरी सतह पर स्थिति उपास्थि घिसती जाती है और नर्म हो जाती है। यह उपास्थि (कार्टिलेज) के घुटने की टोपी से उचित स्थिति में ना होने से उत्पन्न भंगुरता का परिणाम है जिसके कारण यह जांघ की हड्डी (फेमर) के अंतिम सिरे पर फिसलती है। इस स्थिति को कभी-कभी पटेलोफेमोरल सिंड्रोम कहा जाता है।.

कोंड्रोमलेसिया पटेला: लक्षण और कारण

कोंड्रोमलेसिया पटेला – लक्षण – आपके घुटने के सामने के हिस्से में धीमा-धीमा दर्द बना रहना। सीढ़ी उतरते समय दर्द होना। लम्बे समय तक बैठे रहने के बाद उठने पर दर्द होना। पैर को घुमाते समय रगड़ने/घूमने का अनुभव होना (क्रेपिटस)।. कोंड्रोमलेसिया पटेला – कारण – कोंड्रोमलेसिया पटेला तब होता है जब घुटने की टोपी हड्डियों पर फिसलने के स्थान पर उनसे टकराने और रगड़ खाने लगती है। इसके कारण कार्टिलेज (उपास्थि) में थोड़ी सी टूट-फूट होती है, जो सूज जाती है और दर्द पैदा करती है।.