वायरल सिंड्रोम: प्रमुख जानकारी और निदान

वायरल सिंड्रोम क्या है?

वायरल सिंड्रोम किसी एक वायरस या विभिन्न प्रकार के वायरस द्वारा उत्पन्न संक्रमण है जो अधिकतर श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। लेकिन ये शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है।
वायरल सिंड्रोम रोग का निर्धारण है जो डॉक्टर द्वारा वायरल रोग के लक्षण होने पर उपयोग किया जाता है, जब निश्चित वायरस का पता नहीं चल रहा होता। यह मुख्यतः बच्चों को प्रभावित करने वाला रोग है। ऐसे सैकड़ों प्रकार के वायरस हैं जो आपको रोगी कर सकते हैं।

रोग अवधि

वायरल संक्रमण आमतौर पर 1-2 सप्ताह तक रहता है। व्यक्ति 3-4 दिनों में बेहतर अनुभव करने लगता है।

जाँच और परीक्षण

रोग का निर्धारण रोगी के शारीरिक परीक्षण और उसके चिकित्सीय इतिहास पर निर्भर करता है। लक्षणों की गंभीरता के आधार पर रक्त परीक्षण या छाती के एक्स-रे का निर्देश दिया जा सकता है।

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

1. वायरल सिंड्रोम क्या है?
वायरल सिंड्रोम ग्रस्त व्यक्ति में वायरल संक्रमण के सामान्य लक्षणों का मिश्रण पाया जाता है। वायरल सिंड्रोम रोग का निर्धारण है जो डॉक्टर द्वारा वायरल रोग के लक्षण होने पर उपयोग किया जाता है, जब निश्चित वायरस का पता नहीं चल रहा होता।

2. ठीक होने में कितना समय लगता है?
वायरल संक्रमण आमतौर पर 1-2 सप्ताह तक रहता है। व्यक्ति 3-4 दिनों में बेहतर अनुभव करने लगता है।

3. जब वायरल सिंड्रोम हो तो क्या करना चाहिए?
व्यक्ति को शुरू के 2-3 दिन घर में बिस्तर पर ही आराम करना चाहिए। प्रतिदिन आठ औंस मात्रा के 8-12 गिलास तरल पदार्थ लेकर शरीर में पानी की कमी को दूर किया जाना चाहिए। इसमें पानी, संतरे का रस और लेमोनेड, सेब, अंगूर और क्रेनबेरी का रस, फलों का साफ़ रस, इलेक्ट्रोलाइट पेय और स्पोर्ट्स ड्रिंक्स, कैफीन रहित चाय या कॉफ़ी आदि हो सकते हैं। दर्द और बुखार को कम करने के लिए दवा की दुकान पर मिलने वाली दर्दरोधी दवाएँ लें। अवरोध को ठीक करने के लिए ह्युमिडिफायर और भाप का प्रयोग करें।

4. व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए?
जब लक्षण अत्यंत गंभीर हो जाएँ जैसे तीव्र खाँसी, छाती में दर्द, साँस लेने में कमी, व्हीज़िंग या साँस लेने में कठिनाई, सिरदर्द; चेहरे, गर्दन या कान में दर्द और पेट के निचले दाहिने हिस्से में लगातार गंभीर दर्द। यदि व्यक्ति को कमजोरी लगना, चक्कर आना, या बेहोशी छाना, अत्यधिक प्यास लगना, 100.4 या अधिक बुखार आदि हो। जब व्यक्ति को बार-बार उल्टी और दस्त हो रहे हों तो डॉक्टर को शीघ्र दिखाना चाहिये।

5. वायरल सिंड्रोम की समस्याएं क्या हैं?
बच्चों की समस्याओं में द्वितीयक बैक्टीरियल संक्रमण जैसे कान के संक्रमण, साइनोसाइटिस और निमोनिया आते हैं। आमतौर पर वायरल सिंड्रोम की समस्याएँ (जो कि रोगों का साथ देती हैं या उनके बाद होती हैं) सामान्यतः निचले श्वसन तन्त्र में बैक्टीरिया के संक्रमण से होती हैं। वायरल सिंड्रोम के बाद द्वितीयक वायरल संक्रमण, जिनमें वायरल निमोनिया, ब्रोन्किओलाइटिस, पेरोटाइटिस और क्रुप आदि आते हैं। अन्य अधिक गंभीर समस्याएँ कभी-कभी ही होती है, लेकिन उनमें हैं मस्तिष्क पर सूजन, गिलियन-बेरी सिंड्रोम, मायोकार्डाइटीस और/या पेरीकार्डाइटीस, रेब्डोमायोलिसिस और एरिदमिया। वायरल सिंड्रोम की अन्य समस्याएँ जो बच्चों को प्रभावित करती हैं उनमें बुखार सम्बन्धी झटके (फेब्राइल सीझर्स) आते हैं। वे नवजात जो अभी-अभी आकस्मिक चिकित्सा इकाई (इंटेंसिव केयर यूनिट) से बाहर आए हों उन्हें इसका विशेष खतरा होता है।




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