भारत – विश्व की डेंगू राजधानी

2030 तक मलेरिया मुक्त विश्व दिन भर के दौरान अपने आस-पास घूम रहे मच्छर से सावधान रहें! क्योंकि, यदि आप जरूरी सावधानी ना बरतें तो आप डेंगू बुखार की चपेट में आ सकते हैं।

भारत का अधिकृत आंकड़ा लगभग 20,000 मामले प्रतिवर्ष का है लेकिन एक अध्ययन इस आँकड़े को 300X अधिक अनुमानित करता है – लगभग 58,00,000 लोगों के अस्पताल में भर्ती होने के आंकड़े।

भारत डेंगू की चपेट में 1940 से है। 80% लोगों को केवल थकावट और हल्का बुखार होता है – 20% को गंभीर लक्षण होते हैं। केवल 1% व्यक्तियों को प्राणघातक लक्षण दिखाई पड़ते हैं।

ताजे आंकड़े दिल्ली से हैं: ~13 मौतों के साथ कुल 1900 मामले, जैसा कि 16 सितम्बर 2015 को था। और शहर के अस्पतालों में पहले ही बिस्तरों की कमी है!

डेंगू बुखार

इसका प्रभाव हलके फ्लू से लेकर भीतरी रक्तस्राव वाले बुखार तक हो सकता है। यह आपकी रोगों से लड़ने की ताकत पर निर्भर करता है।

एडीज एजेप्टी गहरे रंग का छोटा मच्छर होता है जिसके पैरों और शरीर पर सफ़ेद धारियाँ होती हैं – इसलिए इसे टाइगर मच्छर भी कहते हैं!

the culprit for dengue
Source: Muhammad Mahdi Karim

मच्छर ठन्डे स्थानों पर छिपना पसंद करते हैं – जैसे भंडार गृह या बिस्तर के नीचे – और दिन में या रात के समय पर्याप्त प्रकाश वाले स्थानों पर काटते हैं।

ध्यान देने वाले चिन्ह

सामान्य लक्षण: सिरदर्द, बुखार, त्वचा पर धारियों के निशान, आँखों के पीछे, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द।

इसकी कोई विशेष औषधि नहीं है। यदि रोग मंद है तो आराम करें, तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें और घर पर बना सामान्य भोजन लें। एस्पिरिन और ब्रुफेन ना लें। पेरासिटामोल लेना सुरक्षित है।

पेट के निचले हिस्से में दर्द होने पर, उलटी, रक्तस्राव या साँस में तकलीफ होने पर चिंतित हों – तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ। शरीर के तापमान में कमी बुखार के ठीक होने की तरह लग सकती है, लेकिन लापरवाह ना हों – स्थिति में होने वाली किसी भी प्रकार की गिरावट पर निगाह रखें।

रोकथाम और नियंत्रण

रोकथाम के उपायों में मच्छरों पर नियंत्रण – सामान्य स्वच्छता और आस-पास फूलदानों. टूटी बोतलों, नारियल के छिलकों आदि किसी भी प्रकार के पात्र या जहाँ आप सोच सकते हों, वहाँ पानी का जमाव ना होने देना, ये सभी आते हैं! अपने पीने के पानी को ढँककर रखें। मच्छररोधी रसायनों का प्रयोग करें, शरीर को ढँकने वाले कपड़े पहनें। दिन में सोते समय बच्चों को मच्छरदानी लगाएँ।

पौधों के प्रेमियों से निवेदन: सप्ताह में एक दिन अपने पानी भरे रहने वाले पौधों से जमा पानी को निकाल दें और इसकी जगह ताजा साफ पानी भरें। सप्ताह में एक दिन पानी ना देने से मच्छरों के प्रजनन चक्र को तोड़ने में सहायता मिलती है।

सरसों का तेल शरीर के खुले हिस्सों पर लगाने के लिए प्राकृतिक मच्छररोधी है। लेकिन लम्बे समय में, संतुलित भोजन, व्यायाम और पर्याप्त निद्रा द्वारा अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है!


लेखक WHO-विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्व-महामारी विशेषज्ञ हैं।