एंटीऑक्सीडेंट्स- आपके पोषण का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा

जीवित रहने के लिए हमें ऑक्सीजन की जरूरत होती है, लेकिन तनाव के प्रति प्रतिक्रिया हेतु हमारा शरीर रिएक्टिव-ऑक्सीजन उत्पन्न करता है। इन्हें फ्री रेडिकल्स (मुक्त-कण) भी कहा जाता है और ये स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं। ये फ्री रेडिकल्स धुएँ, शराब, भारी धातुओं (जल और हवा द्वारा), और धूप तक की अत्यधिक चपेट में आने से भी उत्पन्न हो सकते हैं।

एंटी-ऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स के प्रभावों को प्रभावहीन करते हैं।

एंटीऑक्सीडेंट क्या है?

एंटीऑक्सीडेंट एक ऐसा अणु होता है जो अन्य अणुओं के ऑक्सीकरण पर रोक लगाता है। एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को हानिकारक अणुओं, जिन्हें फ्री रेडिकल्स कहते हैं, द्वारा उत्पन्न क्षति से बचाते हैं। यहाँ क्षति का अर्थ अथेरोस्क्लेरोसिस, कैंसर और अन्य रोगकारक स्थितियाँ हैं।

एंटीऑक्सीडेंट्स के स्रोत

हालाँकि हमारा शरीर एंटीऑक्सीडेंट्स उत्पन्न करता है, जो कि लगातार उत्पन्न होने वाले फ्री रेडिकल्स से बचाव के लिए पर्याप्त नहीं होते। इसके कारण, हमारे द्वारा प्रतिदिन लिए जाने वाले आहार से नए एंटीऑक्सीडेंट्स की लगातार पूर्ति होते रहना चाहिए। ये आवश्यक विटामिन और मिनरल साबुत प्राकृतिक भोजन में मिलते हैं जो कि कम या बिलकुल भी प्रोसेस्ड ना हुआ हो। एंटीऑक्सीडेंट्स के स्रोतों को प्रस्तुत करने के पहले आइये उनके प्रकारों के बारे में जानें

प्रकृति में विभिन्न प्रकार के हज़ारों एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, लेकिन मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण जो हैं उनमें एस्टाज़ेन्थिन, कुछ एंजाइम जैसे सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेस, विटामिन ए, सी और ई, बीटा-कैरोटीन, सेलेनियम, लाइकोपीन, ल्यूटेन, कोएंजाइम क्यू10, फायटिक एसिड, फ्लावोनोइड्स और पालीफेनोल्स हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स को दो श्रेणियों में बाँटा गया है – जल में घुलनशील (हाइड्रोफिलिक) और वसा में घुलनशील (हाइड्रोफोबिक)। जल में घुलनशील एंटीऑक्सीडेंट्स, ऑक्सीडेंट के साथ मुख्य रूप से कोशिका सम्बंधित विलयन और रक्त के प्लाज्मा में कार्य करते हैं, जबकि वसा में घुलनशील एंटीऑक्सीडेंट्स कोशिका की झिल्ली को वसीय ऑक्सीकरण से बचाते हैं।

अब सबसे महत्वपूर्ण हिस्से, एंटीऑक्सीडेंट्स के स्रोतों पर आते हैं।
  • विटामिन सी खट्टे फलों, हरी पत्तेदार सब्जियों, स्ट्रॉबेरी, हरी शिमला मिर्च, ब्रोकोली, पत्तागोभी और आलू में भरपूर पाया जाता है।
  • विटामिन ई साबुत अनाजों, मेवों और गिरियों, गेहूँ की बाली, हरी पत्तेदार सब्जियों और मछली के लिवर के तेल में पाया जाता है। इसके अलावा यह सूरजमुखी के तेल और एक्स्ट्रा-वर्जिन ओलिव आयल में भी मिलता है।
  • बीटा कैरोटीन गहरे हरे, पीले और नारंगी रंग के फल और सब्जियों में पाया जाता है, जिनमें केल, कोलार्ड, ब्रोकोली, गाजर, कद्दू, टमाटर, केंटालूप, आडू और खुबानी आते हैं।
  • सेलेनियम के स्रोतों में मछली, शेलफिश, अंडे, चिकन, लहसुन, अनाज और रेड मीट आते हैं।
  • ग्लूटाथिओन से भरपूर आहारों में अस्पार्गस, एवोकेडो, पालक, ब्रोकोली, तरबूज, स्ट्रॉबेरी, केंटालूप और आडू आते हैं।
  • ल्यूटेन हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, कोलार्ड और पत्तागोभी, ब्रोकोली, मक्का, आडू, पपीता और संतरों में पाया जाता है।
  • लाइकोपीन गुलाबी और लाल फलों और सब्जियों में पाया जाता है, जैसे गुलाबी ग्रेपफ्रूट, तरबूज, खुबानी और टमाटर।
  • फ्लावोनोइड्स, क्रैनबेरी, शलजम, अंगूर (लाल या काले), संतरों, नीबू, बेरियों, ग्रीन टी, ग्रेपफ्रूट और पत्तागोभी में भरपूर पाया जाता है।
यदि आप अपने आहार में विटामिन पूरक शामिल कर रहे हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें। कई पूरकों में विटामिनों, खनिजों और एंजाइम का उचित संतुलन नहीं होता और वास्तव में उनका स्वास्थ्य पर प्रभाव नकारात्मक होता है। भोजन के अतिरिक्त अन्य पूरकों से कुछ पोषक तत्वों जैसे विटामिन ई और ए, सेलेनियम आदि की अत्यधिक मात्रा लिया जाना हानिकारक हो सकता है।

एंटी-ऑक्सीडेंट के लाभ

आज के प्रदूषण भरे विश्व में व्यक्ति के एंटीऑक्सीडेंट्स के सेवन को बढ़ाना उचित स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। विभिन्न एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर के अलग-अलग हिस्सों को लाभ पहुँचाते हैं जैसे बीटा कैरोटीन नेत्रों के स्वास्थ्य को, लाइकोपीन प्रोस्टेट के स्वास्थ्य को, फ्लावोनोइड्स ह्रदय के स्वास्थ्य को, विटामिन ई त्वचा को और इसी प्रकार और भी लाभ हैं। ये सभी निम्न की सुरक्षा में मदद करते हैं:
  • ह्रदय की समस्याएँ।
  • नेत्रों की समस्याएँ (मेक्युला का ह्रास बढ़ती आयु में अंधापन पैदा कर सकता है।)
  • कैंसर के मुकाबले में
  • मिजाज सम्बन्धी विकारों में।
  • प्रतिरक्षक तंत्र सम्बन्धी विकारों में।
  • याददाश्त की समस्याएँ