टीनिया पेडिस: प्रमुख जानकारी और निदान

टीनिया पेडिस क्या है?

टीनिया पेडिस को आम भाषा में एथलीट्स फुट के नाम से जाना जाता है और यह त्वचा को प्रभावित करने वाली अत्यंत सामान्य स्थिति है जो पैर के तल और उँगलियों के बीच की त्वचा को प्रभावित करती है। आमतौर पर यह पपड़ीदार, लाल, खुजली के साथ निकलने वाली त्वचा और कभी-कभी तरलयुक्त और बहावयुक्त भी हो सकता है। यह स्थिति विशेष रूप से पैरों को प्रभावित करती है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों जैसे जांघों तक फ़ैल सकती है या संक्रमित कर सकती है।

रोग अवधि

टीनिया पेडिस को ठीक होने में कई सप्ताहों से लेकर कई महीने तक लग सकते हैं।

जाँच और परीक्षण

रोग का निर्धारण निम्न के द्वारा होता है:
  • देखकर त्वचा के परीक्षण द्वारा।
  • त्वचा की कल्चर जाँच द्वारा।
  • पोटैशियम हायड्रॉक्साईड जाँच।

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

1. टीनिया पेडिस क्या है?
टीनिया पेडिस को आम भाषा में एथलीट्स फुट के नाम से जाना जाता है और यह त्वचा को प्रभावित करने वाली अत्यंत सामान्य स्थिति है जो पैर के तल और उँगलियों के बीच की त्वचा को प्रभावित करती है। आमतौर पर यह पपड़ीदार, लाल, खुजली के साथ निकलने वाली त्वचा और कभी-कभी तरलयुक्त और बहावयुक्त भी हो सकता है। यह स्थिति विशेष रूप से पैरों को प्रभावित करती है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों जैसे जांघों तक फ़ैल सकती है या संक्रमित कर सकती है।

2. टीनिया पेडिस होने के कारण क्या हैं?
एथलीट्स फुट के लिए फफूंद का एक समूह जिम्मेदार होता है जिसे डर्मेटोफाइट्स कहा जाता है।

3. ठीक होने में कितना समय लगता है?
टीनिया पेडिस को ठीक होने में कई सप्ताहों से लेकर कई महीने तक लग सकते हैं।

4. ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर क्या करना चाहिए?
पैरों को रोज धोएँ और जूते तथा मौजे पहनने के पहले उन्हें उचित प्रकार से सूखने दें। अपने पैरों को सुखाने के लिए अलग तौलिये का प्रयोग करें। सूती या ऊनी मौजे पहनें, और उन्हें दिन में दो बार या जब वे नम हो जाएँ, तब बदल लें। कृत्रिम सिंथेटिक पदार्थों से बने जूते ना पहनें। इनके स्थान पर सेंडल या चमड़े के बने जूते पहनें। पैरों में और जूतों के भीतर फफूंदरोधी पाउडर का छिड़काव करें। प्रतिदिन लगभग 10 मिनट तक पैरों को गर्म पानी में डुबोकर रखें। नाखूनों को छोटा और साफ़ रखें।

5. व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए?
डॉक्टर से तब संपर्क करें जब व्यक्ति को उँगलियों के बीच की त्वचा में दरार, फफोले या फुंसियां हों, पैरों में सूजन हो, रक्तस्राव, प्रभावित क्षेत्रों में पीप बनना या संक्रमण का हाथों तक फैलना आदि समस्याएँ हों।




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