बच्चों में वायरल बुखार: रोकथाम और जटिलताएं

रोकथाम (बचाव)

  • वायरस को फैलने से रोकने के लिए इन नियमों का पालन करें।
  • अपने हाथों को साबुन और पानी से धोएँ।
  • खाँसते और छींकते समय मुँह और नाक को ढंकें।
  • भोजन को स्वच्छ हाथों से लाएँ-ले जाएँ।
  • बच्चे का प्रतिरक्षक टीकाकरण उचित करवाएँ (बच्चों के प्रतिरक्षण की तालिका देखें)।
  • फलों और सब्जियों से युक्त स्वास्थ्यवर्धक आहार दें।

ध्यान देने की बातें

  • 8-12 घंटों से मूत्रत्याग ना होना।
  • सूखे तड़के होंठ और/या मुँह।
  • रोने पर आंसू ना निकलना।
  • झटके।

डॉक्टर को कब दिखाएँ

डॉक्टर से संपर्क करें यदि आपके बच्चे को:
  • केवल 4 माह का होने पर भी 100.4 F से अधिक बुखार है।
  • लगातार रो रहा है, चिड़चिड़ा बना हुआ है, सांत्वना देने पर शांत नहीं हो रहा और रोगियों जैसा व्यवहार कर रहा है।
  • सामान्य से अधिक लार गिरा रहा है और निगलने में कठिनाई है।
  • गर्दन में जकड़न है या सिरदर्द और बुखार है।
  • त्वचा पर जामुनी धब्बे हैं।
  • साँस लेने में कठिनाई है, जब तक कि यह भरी हुई नाक के कारण ना हो।
  • बुखार के झटके आ रहे हैं।
  • बुखार 3 दिनों से अधिक समय से बना हुआ है।




वायरस का रक्तस्राव युक्त बुखार, वायरस का रक्तस्राव युक्त बुखार-वीएचएफ, बुखार, वायरस द्वारा उत्पन्न, वायरस संक्रमण, मतली, उलटी, आँखों में लालिमा, गले में दर्द, बुखार का सबसे सामान्य प्रकार, बुखार में रोग, बच्चों में वायरल बुखार से निवारण, bacho ka bukhar rog, bacho ka bukhar ki roktham aur jatiltain, bacho ka bukhar se bachav aur nivaran, bacho ka bukhar doctor ko kab dikhayein, Pediatric viral fever in hindi, Pediatric viral fever treatment in hindi,

2 thoughts on “बच्चों में वायरल बुखार: रोकथाम और जटिलताएं

Comments are closed.