डिस्यूरिया (दर्द्युक्त मूत्रत्याग): प्रमुख जानकारी और निदान

डिस्यूरिया (दर्द्युक्त मूत्रत्याग) क्या है?

डिस्यूरिया मूत्रत्याग के दौरान होने वाले दर्द और असहजता हेतु प्रयुक्त किया जाने वाला चिकित्सीय शब्द है। अक्सर इसे जलन के एहसास की तरह समझाया जाता है। स्त्री या पुरुष, कोई भी, किसी भी आयु का हो वह दर्दयुक्त मूत्रत्याग का अनुभव कर सकता है। यह समस्या स्त्रियों में अधिक आम है। सामान्यतया यह मूत्र मार्ग के संक्रमण से जुड़ा होता है, जो पुरुषों की अपेक्षा अक्सर महिलाओं को प्रभावित करता है।

रोग अवधि

उचित उपचार के साथ यह स्थिति कुछ दिनों में ही बेहतर हो जाती है।

जाँच और परीक्षण

रोग का निर्धारण शारीरिक परीक्षण और चिकित्सीय इतिहास के आधार पर किया जाता है। मूत्र की विश्लेषणात्मक जाँच की जाती है। मूत्र के कल्चर परीक्षण के लिए कहा जाता है। यदि महिला को योनिस्राव हो तो पेल्विक क्षेत्र और योनि के स्रावों का परीक्षण भी आवश्यक होता है। लिंग से स्राव की स्थिति में पुरुषों को मूत्रनलिका में रखे फाहे की जाँच करानी होती है।

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

1. डिस्यूरिया क्या है?
डिस्यूरिया मूत्रत्याग के दौरान होने वाले दर्द और असहजता हेतु प्रयुक्त किया जाने वाला चिकित्सीय शब्द है। अक्सर इसे जलन के एहसास की तरह समझाया जाता है। स्त्री या पुरुष, कोई भी, किसी भी आयु का हो वह दर्दयुक्त मूत्रत्याग क अनुभव कर सकता है। यह समस्या स्त्रियों में अधिक आम है। सामान्यतया यह मूत्र मार्ग के संक्रमण से जुड़ा होता है, जो पुरुषों की अपेक्षा अक्सर महिलाओं को प्रभावित करता है।

2. डिस्यूरिया के लक्षण क्या हैं?
आमतौर पर डिस्यूरिया अर्थात मूत्रत्याग के दौरान जलन, बदबू, या खुजली का एहसास होना। जिन लोगों को दर्द के साथ मूत्रत्याग होता है उन्हें बार-बार मूत्रत्याग की आवश्यकता महसूस हो सकती है।

3. डिस्यूरिया की उत्पत्ति के कारण क्या हैं?
डिस्यूरिया का सबसे आम कारण मूत्रमार्ग (मूत्रनलिका, मूत्राशय या गुर्दे) का संक्रमण है। अन्य कारणों में यौन कार्यों से प्रसारित संक्रमण, मूत्राशय की कैंसर जनित या कैंसर रहित गांठ, या औषधियों का विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं।

4. इस स्थिति से पीड़ित होने पर व्यक्ति को क्या करना चाहिए?
रोगी स्वयं को सूर्य या गर्मी की चपेट में ना रखे। अत्यधिक पसीना शरीर से पानी की अधिक मात्रा को बाहर निकाल देता है और मूत्र गाढ़ा हो जाता है। इस गाढ़े मूत्र का मूत्र मार्ग से निष्कासन उत्तेजना उत्पन्न करता है और जलन के एहसास को बढ़ावा देता है। संक्रमण को कम करने के लिए आवश्यकता लगते ही मूत्रत्याग करें। प्रतिदिन उचित और आवश्यक स्वच्छता का पालन करें। मूत्रत्याग के पश्चात, महिलाओं को आगे से पीछे तक सम्पूर्ण क्षेत्र को सुखा लेना चाहिए। तंग कपड़े ना पहनें।

5. व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए?
डॉक्टर से संपर्क करें यदि लक्षण 2 दिनों तक रहते हैं, खासकर जब आपके दर्द के साथ अन्य लक्षण भी जुड़े हों, जैसे दुर्गन्धयुक्त मूत्र, मूत्र में पीप या रक्त, मतली और उल्टी, बुखार और कंपकंपी, कमर में दर्द और बार-बार कंपकंपी होना आदि






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