मुहाँसों के उपचार हेतु तरीके

मुहाँसे त्वचा की सूजन को कहते हैं जिनमें तैलीय ग्रंथियाँ बैक्टीरिया के कारण संक्रमित हो जाती हैं, सूज जाती हैं और पीप से भर जाती हैं। तैलीय ग्रन्थियों द्वारा सीबम का अत्यधिक उत्सर्जन मुहाँसों का प्राथमिक कारण है।

यहाँ मुहाँसों के उपचार हेतु कुछ सामान्य विधियाँ दी गई हैं:
  1. मुहाँसों के उपचार के लिए अधिकतर नीम और तुलसी जैसी पत्तियों का उपयोग किया जाता है। मुहाँसों को कम करने के लिए उन पर ताज़ी और सूखी पत्तियों का लेप 10 मिनट के लिए लगाएँ, इसे एक सप्ताह में 4-5 बार करें। इनमें निम्बिन नामक सक्रिय तत्व होता है जो संक्रमणरोधी, फफूंदरोधी, ज्वरनाशक होता है और मुहाँसों को नियंत्रित करता है।
  2. तुलसी में यूजेनोल होता है, जो कि संक्रमणरोधी और निश्चेतक(antiseptic) होता है और यह मुहाँसों के प्रभाव को नियंत्रित करता है। मुहाँसों से छुटकारे के लिए तुलसी के लेप को एक सप्ताह में 4-5 बार लगाएँ।
  3. आलू का रस त्वचा पर मंद ब्लीचिंग चमक देता है। मुहाँसों पर 10 मिनट के लिए आलू का रस/कटा आलू/मसला आलू सीधे लगाएँ और फिर धो डालें। आलू में विटामिन-सी, विटामिन-बी6, केरोटिनोइड्स और एंथोसायनिन्स होते हैं जो त्वचा को प्राकृतिक चमक देते हैं।
  4. शहद में मिला हुआ नीबू का रस मुहाँसों को ठीक करने का आसन और प्रभावी तरीका है जहाँ शहद जीवाणुरोधी और नीबू विटामिन-सी से समृद्ध है। शहद और नीबू के रस को समान मात्रा में मिलाएँ और इसे मुहाँसों और गहरे धब्बों पर लगाएँ। 10 मिनट लगा रहने दें और धो डालें। बढ़े हुए या उभरे हुए मुहाँसों पर ना लगाएँ क्योंकि इससे जलन होती है।
  5. नियमित लगाए जाने पर कच्चा पपीता भी मुहाँसों पर अच्छा कार्य करता है। कच्चे पपीते के छिलके से निकलने वाले सफ़ेद द्रव को पूरे चेहरे पर 10 मिनट के लिए लगाएँ और फिर धो डालें। इस द्रव में कारपिन होता है जो फफूंद, परजीवियों जैसे सूक्ष्मजीवों और इनके साथ ही कैंसर की कोशिकाओं के कई प्रकारों को नष्ट करता है।