एसएमएस दवा रिमाइंडर हजारों जानें बचा सकते हैं – क्वीन्स यूनिवर्सिटी इंग्लैंड

Courtesy – Telegraph article http://www.telegraph.co.uk/health/healthnews/11275603/Texting-patients-to-remind-them-to-take-pills-could-save-thousands-of-lives-a-year.html


एक नया अध्ययन बताता है कि रोगियों को दवा लेने की याद दिलाने का सन्देश देना, मस्तिष्क के आघात या दिल के दौरे के कारण होने वाली हजारों लोगों की मृत्यु को रोक सकता है, और प्रतिवर्ष NHS-नेशनल हेल्थ सर्विस के लाखों पाउंड्स बचा सकता है।

वर्तमान में प्रतिवर्ष £500 मिलियन व्यर्थ होते हैं क्योंकि रोगी अपनी दवाओं को नियमित नहीं लेते।

हालाँकि लन्दन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी द्वारा किये गए एक नए अध्ययन में यह पाया गया कि लिखित रूप में भेजे गए रिमाइंडर ने रोगियों द्वारा दवाओं के लेने को 64 प्रतिशत तक बढ़ा दिया।

यह ना केवल नेशनल हेल्थ सर्विस द्वारा दवाओं पर किये जाने वाले लाखों-करोड़ों के व्यर्थ खर्च को रोकेगा, बल्कि हजारों लोगों की अकारण होने वाली मृत्यु को भी रोकेगा जो कि अपने कोलेस्ट्रॉल या रक्तचाप को कम करने वाली दवाएँ लेना भूल जाने के कारण होती हैं।

लन्दन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के ह्रदय रोग विशेषज्ञ और प्रमुख लेखक प्रोफेसर डेविड वाड कहते हैं: “दवाओं से सम्बन्धित एक महत्त्वपूर्ण और अनदेखी समस्या है, लिखी गई दवाओं को ना लेना।”
“इस प्रयोग के निष्कर्ष दर्शाते हैं कि लिखित सन्देश द्वारा भेजे गए रिमाइंडर इन्हें आसानी से और प्रभावी ढंग से रोकने में मदद करते हैं। केवल याद दिलाने के अलावा, संदेशों ने उन रोगियों की पहचान में भी मदद की, जिन्हें सहायता की जरूरत थी।”

लगभग एक तिहाई लोग अपने उपचार को बताए गए तरीके से नहीं लेते। कुछ रोगी अपनी गोलियाँ लेना भूल जाते हैं और बाकी उपचार के लाभ-हानि की अनिश्चितता के कारण दवा लेना बंद कर देते हैं।

शोधकर्ताओं ने, सन्देश भेजना लाभकारी है, यह जानने के लिए छः माह तक चले अध्ययन में लगभग 303 लोगों से पूछताछ की।

‘टेक्स्ट मेसेज’ समूह ने दो सप्ताह तक प्रतिदिन, अगले दो सप्ताह तक एक दिन छोड़कर और फिर छः माह तक हफ्ते में एक सन्देश प्राप्त किया, जिसमें क्या उन्होंने उस दिन दवा ले ली है, यह पूछा गया। जिन रोगियों ने जवाब नहीं दिया, उन्हें फ़ोन किया गया और सहायता की पेशकश की गई।
‘नो टेक्स्ट’ समूह में, 25 प्रतिशत रोगियों ने अपना इलाज लेना पूरी तरह बंद कर दिया या लिखे गए उपचार का चौथाई या पाँचवा हिस्सा ही लिया, जबकि ‘टेक्स्ट मेसेज’ समूह में केवल 9 प्रतिशत लोगों ने ऐसा किया।

UCL के फार्मास्यूटिकल और जन-स्वास्थ्य नीति के मानद प्रोफेसर डेविड टेलर ने बताया: “इन परिणामों के स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रभाव, आर्थिक और स्वास्थ्य लाभ, दोनों दृष्टियों से गौर करने लायक हैं।

“अधिकतर लोगों के पास अब मोबाइल फ़ोन होता है और हर उपयोगी पर्चे के साथ टेक्स्ट मेसेजिंग को जोड़ा जा सकता है, जिससे ब्रिटेन में प्रतिवर्ष होने वाले हजारों मस्तिष्क आघातों और दिल के दौरों को रोका जा सकता है।”

“यह प्रक्रिया केवल दिल की बीमारियों को रोकने तक ही सीमित नहीं है और लम्बे समय से चली आ रही बीमारियों का इलाज ले रहे रोगियों के लिए भी उपयोग की जा सकती है।”

यह शोध PLOS One नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।