ऑड-इवन ड्राइविंग। दिल्ली में प्रदूषण कम हुआ। (और कसरत करने के लिए सबसे बढ़िया समय रहा)

ऑड-इवन ने हवा को साफ़ कर दिया!

इस बार के लिए ऑड-इवन का प्रयोग समाप्त हुआ। इसने हवा की गुणवत्ता को महसूस करने लायक बदल दिया। यही नहीं, रास्तों पर कम भीड़-भाड़ होने के कारण यात्रा में लगने वाला समय भी घट गया। इसलिए चाहे सरकार ने इस प्रयोग को अधिकारिक रूप से बंद कर दिया हो, लेकिन यह दिल्ली के लोगों के लिए बुद्धिमानी की बात होगी कि वे ऑड-इवन का स्वैच्छिक रूप से पालन करें!

हम दिसम्बर अंत की छुट्टियों के समय से प्रदूषण के स्तर पर निगाह रख रहे थे। ऑड-इवन ड्राइविंग के साथ प्रदूषण का स्तर ऐसा महसूस हुआ जैसा छुट्टियों के दौरान होता है। दूसरे सप्ताह में सुधार अधिक दिखा, जो कि शायद गतिविधि को नियमित रूप से अपना लिए जाने के कारण था। वास्तव में सभी क्षेत्रों ने पीएम 2.5 और पीएम 10 स्तरों में सुधार प्रदर्शित किया। आरकेपुरम में सबसे ज्यादा सुधार देखा गया।
PM10 pollution level in Delhi NCR regions PM25 pollution level in Delhi NCR regions

बाहर निकलने के लिए कौन सा समय श्रेष्ठ होता है?

हमने दिन भर के दौरान प्रदूषण के स्तरों का विश्लेषण किया। दोपहर बाद से शाम की शुरुआत, अर्थात 3 बजे से 6 बजे तक, के समय में प्रदूषण सबसे कम पाया गया। इसलिए यदि आप खुले में कसरत करना चाहते हैं तो शाम की शुरुआत का समय सबसे बढ़िया है। ध्यान रहे, हर व्यक्ति को धूप की पर्याप्त मात्रा की जरूरत भी होती है! Hourly PM10 pollution level in Delhi NCR regions Hourly PM25 pollution level in Delhi NCR regions

एमतत्व द्वारा किया गया कार्य

दिल्ली में प्रदूषण बड़ी चिंता का विषय है। यदि आप दिल्ली में रहते हैं, तो हम जानते हैं कि प्रदूषण के भयावह कष्ट से बचने के लिए आप अपना 100% योगदान देंगे, और हम इसका लेखा-जोखा रखेंगे कि इस त्याग का प्रदूषण के स्तर पर क्या प्रभाव पड़ा। प्रदूषण के आँकड़े कैसे बदले, इस पर हम नियमित अपडेट भेजेंगे।
नीचे दिए गए ग्राफ में परिवर्तित होती अवस्था दिखाई गई है – जिसमें ऑड-इवन योजना के पहले के आंकड़ों के साथ शुरुआत की गई है। इसके साथ ही ये प्रदूषक क्या हैं, उनके स्रोत कौन से हैं और इनका हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसका कुछ विवरण भी नीचे दिया गया है।

नीचे दिए गए ग्राफ दिन भर के मानों के औसत की गणना करके बनाए गए हैं, और दिल्ली में बनाए गए देखभाल केन्द्रों (जिनमें से अधिकतर आनंद विहार में थे) के आस-पास की बदतर स्थिति के मानों को बताते हैं।

PM10 pollution level in Delhi NCR
PM2.5 pollution level in Delhi NCR
प्रदूषकों की सूची:
हवा में कई प्रकार के प्रदूषक होते हैं जिन पर निगाह रखी जाती है। WHO द्वारा दी गई सूची में हैं:
  • पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), खासकर पीएम 10 और पीएम 2.5
  • ओजोन
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
पीएम10 क्या है?
पीएम 10, पार्टिकुलेट मैटर है जिसका व्यास 10um होता है, जो कि आदमी के बाल के 10वें हिस्से के बराबर होता है। पीएम10 कण आमतौर पर फेक्टरियों, खेतों, भवन और सड़क निर्माण के दौरान उत्पन्न धुएँ, धूल और गंदगी के कण होते हैं। एक बार उत्पन्न होने के बाद वे हवा द्वारा दूर तक फैला दिए जाते हैं।

पीएम 2.5 क्या है?
पीएम 2.5, पार्टिकुलेट मैटर है जिसका व्यास 2.5um होता है, जो कि आदमी के बाल के 40वें हिस्से के बराबर होता है। सामान्यतया ये वाहनों और वनस्पतियों (खेतों का कूड़ा-कचरा और जंगल की आग) के जलने से उत्पन्न हुए विषैले पदार्थ और भारी धातुएं होती हैं।

अन्य प्रदूषक
अन्य प्रदूषक जैसे ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड पर भी निगाह रखी गई, लेकिन दिल्ली में इनका स्तर उच्च ना होने के कारण इनका अध्ययन यहाँ नहीं किया गया है।

पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरे
ये दोनों ही साँस लेने के तंत्र और ह्रदय व इसके तंत्र से सम्बंधित समस्याओं को उत्पन्न करते हैं, जो कि कई लोगों की समयपूर्व मृत्यु का कारण बनता है। पीएम10 की अपेक्षा पीएम 2.5 फेफड़ों में अधिक गहराई तक चला जाता है, और इसलिए यह अधिक खतरनाक होता है। पार्टिकुलेट मैटर की चपेट में आने से दवा का प्रयोग बढ़ने और डॉक्टर के पास या आपातकालीन चिकित्सा हेतु बार-बार जाने की जरूरत पड़ती है। स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं:
  • खाँसी, साँस लेने की आवाज आना, साँस लेने में तकलीफ होना।
  • दमे का बढ़ जाना
  • फेफड़ों को क्षति (जिनमें फेफड़ों की घटी हुई कार्यक्षमता और जीवन भर के लिए होने वाली साँस सम्बन्धी बीमारियाँ शामिल हैं)।
  • पहले से ही हृदय रोग या फेफड़ों के रोगों से ग्रस्त लोगों के समयपूर्व मृत्यु के आंकड़ों में वृद्धि।
दिल्ली ही क्यों?
भारत के अन्य महानगरों जैसे मुंबई और कोलकाता में भी वाहनों की संख्या, भवन और सड़क निर्माण गतिविधियों आदि का स्तर और संख्या समान ही है तथा जनसंख्या घनत्व भी बहुत अधिक है। लेकिन सबसे बड़ा अंतर है, समुद्र से नजदीकी। वहाँ पर समुद्री हवाएँ बहती हैं और पार्टिकुलेट मैटर को हवा में फैला देती हैं। जबकि दिल्ली में, खासकर ठण्ड के दौरान, ठहरी हुई हवा में पीएम अटक जाता है और समस्या उत्पन्न करता है। बारिश होने से ठंडक बढ़ जरूर जाती है, लेकिन पीएम का स्तर एकाएक नीचे आ जाता है।

सारांश
पीएम 10 और पीएम 2.5 खतरनाक स्तर पर थे, जो कि अधिकतर सड़क पर चलने वाले वाहनों और निर्माण कार्यों के कारण उत्पन्न होते हैं। इनका स्तर WHO द्वारा बताए गए सुरक्षित स्तर से 10 गुना अधिक था। आप साफ देख सकते हैं कि छुट्टियों के दौरान, जैसे कि क्रिसमस, वाहनों से पैदा होने वाले पीएम 2.5 का स्तर तेजी से नीचे आया और हवा साफ हुई। पीएम10 और पीएम 2.5 दोनों के स्तर, WHO द्वारा तय किये गए दैनिक औसत सीमा से बहुत अधिक थे, और यह खतरे की घंटी है। जैसा कि हम देख सकते हैं, ऑड-इवन योजना के कारण प्रदूषण के स्तर में भारी कमी हुई, अतः यह योजना प्रदूषण घटाने में लाभकारी रही।

यदि आप दिए गए दिन पर वाहन नहीं चलाते हैं, तो यह वास्तव में पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। पर्यावरण हेतु आपका योगदान महत्व रखता है, इसलिए निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक यातायात साधनों के प्रयोग से प्रदूषकों को घटाएँ, और इस प्रकार अपने आस-पास के पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालें।