
भारतीय कानूनों के अनुसार, सभी खून देने वालों की और दिए गए खून की एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी, मलेरिया और सिफलिस द्वारा प्रसारित होने वाले संक्रमणों के लिये जाँच की जानी चाहिए। दुनिया भर में कहीं पर भी चढ़ाए गए खून को 100% सुरक्षित नहीं माना जाता। अधिकतर मामलों में खून आसानी से और सुरक्षा के साथ चढ़ाया जाता
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