वर्षा ऋतु की परेशानियाँ और स्वस्थ रहना

वर्षा ऋतु बारिश और नमी संक्रमण को अत्यधिक बढ़ा देते हैं खासकर कम प्रतिरक्षण वाले लोगों में तो ये और भी अधिक बढ़ जाते हैं। ध्यान दिए जाने वाले कुछ सामान्य संक्रमणों और रोगों में बारे में जानकारी निम्नलिखित है।

वायरल बुखार

लक्षण: बुखार– मंद से मध्यम तक हो सकता है, जिसके साथ बहती हुई नाक और गले में जकड़न के साथ खाँसी और गले की खराश हो सकती है। आँखों में किरकिरेपन के अनुभव, शरीर में दर्द के साथ आँखों में जलन होती है। बच्चों में त्वचा पर निशान और अतिसार भी हो सकता है।

सावधानियाँ और उपचार: स्वयं को स्वच्छ रखें, अपने हाथों और आँखों को साफ़ पानी से धोएँ। तरल पदार्थ और नीबू युक्त कुनकुना पानी अधिक मात्रा में लें। जंक फ़ूड से परहेज करें, और संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में ना आएँ, बच्चों में सेलाइन नेसल ड्राप का प्रयोग करें। हैण्ड-सेनीटाइज़र साथ रखें और भोजन के पहले इसका इस्तेमाल करें। बुखार में शरीर के प्रति किलो वजन के लिए 10 मिग्रा के हिसाब से क्रोसिन की मात्रा की खुराक दिन में 3-4 बार, अपनी आयु के आधार पर, सिरप या गोली के रूप में लें।

फफूंद द्वारा संक्रमण

नमी बगलों में या त्वचा की परतों में फफूंद द्वारा संक्रमण को बढ़ाती है जिसमें लालिमा के साथ-साथ खुजली या जलन या दोनों ही हो सकते हैं।

सावधानियाँ: शरीर को सूखा रखें, नमीयुक्त बालों को सुखाएँ, गीले कपड़े और अंतर्वस्त्र बदलें, पैरों में हवा लगने देने के लिए सैंडल पहनें। फफूंदरोधक टेलकम पाउडर का प्रयोग करें।

जल द्वारा उत्पन्न रोग

वर्षा ऋतु में जल और भोज्य पदार्थ अधिक दूषित होते हैं और सड़क के विक्रेताओं से अस्वास्थ्यकर भोज्य पदार्थ तथा पेय लेना इन्हें और बढ़ा देता है।

अतिसार (डायरिया)

संकेत: 3-4 बार से अधिक पतले दस्त होना, शरीर में दर्द, बुखार, मतली और उलटी के साथ पानी जैसा पतला, खुला हुआ मल आना अतिसार (डायरिया) का संकेत है ।

उपचार: शरीर में जल की कम मात्रा से मुकाबला करने के लिए नारियल पानी, नीबू पानी (एक लीटर में 6-8 चम्मच शक्कर और ¾ ग्राम नमक के साथ नीबू की कुछ बूंदें) या ओआरएस का घोल (250 मिली या 1 लीटर के लिए उपलब्ध पैकेट) लें।

टाइफाइड बुखार

संकेत: लगातार बना हुआ तेज बुखार, सिरदर्द, थकावट, शरीर में बना हुआ दर्द, पेट दर्द, अतिसार जिसके बाद कब्ज हो जाना टाइफाइड बुखार के संकेत हैं। लगभग 10% तक मामलों में गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। डॉक्टर से संपर्क करें।

टीकाकरण: 2 वर्ष से बड़े बच्चों में टाइफाइड का टीका दिया जा सकता है और इसके बाद हरेक 3 वर्षों में इसे दोहराया जाना चाहिए।

हेपेटाइटिस ए (पीलिया)

संकेत: मतली, थकावट, भूख में कमी, हल्का बुखार, त्वचा और आँखों के पीलेपन के साथ पीलिया होना जिसके साथ गहरे रंग का मूत्र और मटमैले रंग का मल आ रहा हो तो आपको हेपेटाइटिस ए हो सकता है।

सावधानियाँ: भोजन के पहले और शौच के बाद हाथों को धोएँ। शौच के बाद स्वच्छता के लिए उपयोग की गई वस्तुओं को उचित प्रकार से कूड़े में डालें। उबले हुए/फ़िल्टर किये हुए जल का उपयोग करें। मक्खियों से बचाव के लिए भोजन को ढंके हुए बर्तनों में रखें। क्रोसिन ना लें क्योंकि यह पीलिया में विषैली होती है और लीवर संक्रमित हो सकता है। एस्पिरिन ली जा सकती है, किन्तु इसे भी खाली पेट नहीं लिया जाना चाहिए। अपनी जाँचें करवाएँ। नजरअंदाज करना गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है। हेपेटाइटिस को रोकने के लिए टीके उपलब्ध हैं।

मच्छरों द्वारा फैलाए जाने वाले रोग

मच्छर हमारे प्राणघातक शत्रु बन चुके हैं! बारिश के दौरान इकठ्ठा होने वाला पानी मच्छरों की उत्पत्ति और इनके द्वारा उत्पन्न किये जाने वाले रोगों को जन्म देता है।

डेंगू

जब कोई मच्छर (दिन में काटने वाला) डेंगू संक्रमित किसी व्यक्ति को काटता है, तो इसका वायरस मच्छर में प्रवेश कर जाता है। जब संक्रमित मच्छर किसी अन्य व्यक्ति को काटता है, वायरस उस दूसरे व्यक्ति के रक्तप्रवाह में प्रविष्ट हो जाता है।

लक्षण: रोगी जिन्हें तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, आँखों में दर्द (रेट्रो-ऑर्बिटल पेन), अत्यंत कमजोरी, त्वचा पर निशान, पिटीकिए (रक्तवाहिनियों के फटने से बने धब्बे) हों जबकि इसकी चेतावनी के लक्षणों में पेटदर्द, ढीलापन, लगातार बनी हुई उल्टियाँ, आलस्य, बेचैनी आदि हैं। रोग अधिक गंभीर होता है यदि व्यक्ति डेंगू से पहले संक्रमित हो चुका हो। डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

मलेरिया

मलेरिया मादा एनाफिलिस मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर ठण्ड, गर्मी, पसीने की तीन विशिष्ट अवस्थाएँ नहीं दिखाई पड़ती लेकिन अधिकतर रोगिओं को बुखार के साथ कंपकंपी, सिरदर्द और मतली भी होती है। बुखार के लिए क्रोसिन (पेरासिटामोल) ली जा सकती है किन्तु जाँच के बिना क्लोरोक्विन नहीं लेनी चाहिए। कभी-कभी किसी को जटिल मलेरिया भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में बिना देरी किये डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

रोकथाम: मच्छरों के लार्वा पनपने वाले स्थानों पर रोकथाम करना जैसे घरेलू निकास, घर के बाहर और भीतर जाली लगाना, नियमित रूप से स्प्रे करना, कीटनाशक उपचारित जालियाँ, मच्छररोधी, बचाव करने वाले वस्त्रों का प्रयोग करना आदि।