रूबेला: प्रमुख जानकारी और निदान

रूबेला क्या है?

रूबेला, जिसे जर्मन मीसल्स या तीन-दिनी मीसल्स भी कहा जाता है, रूबेला वायरस द्वारा उत्पन्न अत्यंत शीघ्रता से फैलने वाला संक्रमण है जो अपने अलग तरह के हलके लाल या गुलाबी रंग के घावों द्वारा पहचाना जाता है। यह त्वचा और लसिका ग्रंथियों को प्रभावित करता है। आमतौर पर यह मंद होता है। यह दो प्रकार का होता है:
  • अर्जित रूबेला
  • जन्मजात रूबेला
अर्जित रूबेला संक्रमित व्यक्तियों के ऊपरी श्वसन मार्ग द्वारा उत्सर्जित कणों, जो कि हवा द्वारा ले जाए जाते हैं, से फैलता है। छींकना और खाँसना ये फैलाव का कारण बनते हैं। यह वायरस मूत्र, मल और त्वचा के ऊपर भी उपस्थित हो सकता है।
 
जन्मजात रूबेला तब होता है जब रूबेला से ग्रस्त गर्भवती महिला अपने गर्भस्थ शिशु में इस रोग को प्रसारित करती है।

रोग अवधि

रूबेला का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन सामान्यतया लक्षण सात से दस दिनों में चले जाते हैं।

जाँच और परीक्षण

रोग का निर्धारण रोगी के शारीरिक परीक्षण और उसके चिकित्सीय इतिहास द्वारा होता है इसके अलावा अन्य तत्वों में हैं:
  • रक्त परीक्षण, जो कि आपके रक्त में रूबेला एंटीबाडीज के भिन्न प्रकारों की पहचान हेतु करवाया जाता है।
  • नाक या गले द्वारा लिए गए रुई के फाहे का परीक्षण।

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

1. रूबेला क्या है?
रूबेला, जिसे जर्मन मीसल्स या तीन-दिनी मीसल्स भी कहा जाता है, रूबेला वायरस द्वारा उत्पन्न अत्यंत शीघ्रता से फैलने वाला संक्रमण है जो अपने अलग तरह के हलके लाल या गुलाबी रंग के घावों द्वारा पहचाना जाता है।

2. इसके ठीक होने में कितना समय लगता है?
7-10 दिनों में लक्षण दब जाते हैं, रोग आमतौर पर ठीक हो जाता है

3. ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर क्या करना चाहिए?
बिस्तर पर पूर्ण आराम करें और पानी अधिक मात्रा में लें और सूजी हुई ग्रंथियों को नर्म करने हेतु गर्म और नम तौलिये का प्रयोग करें। यदि घाव खुजलीयुक्त या असहजता उत्पन्न करने वाले हों तो उनपर कैलामिन लोशन लगाएँ।

4. व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए?
डॉक्टर से संपर्क करें यदि व्यक्ति को रक्तस्राव की समस्या, घाव, त्वचा का ह्रास, तीव्र सिरदर्द, गर्दन में जकड़न, कान में दर्द या दृष्टि सम्बन्धी समस्या हो।

5. इस रोग को कैसे रोका जा सकता है?
रोग को रोकने के लिए एमएमआर और एमएमआरवी टीके द्वारा टीकाकरण करना उचित हल है। रूबेला की सम्भावना वाले रोगियों को अलग कमरों में रखें। यदि किसी को एक बार ये रोग हो गया हो, तो आमतौर पर वह स्थाई रूप से प्रतिरक्षित हो जाता है।

 
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