निकट दृष्टिदोष (मायोपिया): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) – आहार – लेने योग्य आहार: ताजी हरी सब्जियाँ। लीन मीट और लिवर। खट्टे फल – विटामिन ए के अवशोषण हेतु विटामिन सी की आवश्यकता होती है। इसकी कमी से सूजी हुई या चोटग्रस्त आँखों का ठीक होना और कठिन हो जाता है।

निकट दृष्टिदोष (मायोपिया): लक्षण और कारण

निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) – लक्षण – दूर स्थित वस्तुओं का धुंधला दिखाई देना। स्पष्ट देखने के लिए पलकों का आंशिक बंद होना। सिरदर्द, आखों में खिंचाव।. निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) – कारण – यह आनुवांशिक है और आमतौर पर बचपन में होता है। आयु के बढ़ने के साथ स्थिति बदतर होती जाती है।.

निकट दृष्टिदोष (मायोपिया): प्रमुख जानकारी और निदान

निकट-दृष्टिदोष या समीप का दृष्टिदोष, जिसे चिकित्सीय रूप से मायोपिया कहा जाता है, दृष्टि की ऐसी स्थिति है जिसमें निकट की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देती हैं, लेकिन दूर स्थित वस्तुएँ धुंधली दिखाई पड़ती हैं।.

पेन्क्रियाटाइटिस: रोकथाम और जटिलताएं

पेन्क्रियाटाइटिस रोकथाम – धूम्रपान और शराब का सेवन ना करें। उचित वजन बनाए रखें।.

पेन्क्रियाटाइटिस: प्रमुख जानकारी और निदान

पेन्क्रियाटाइटिस पैंक्रियास की सूजन को कहते हैं।.

पेन्क्रियाटाइटिस: लक्षण और कारण

पेन्क्रियाटाइटिस लक्षण – पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द जो पीठ की तरफ फ़ैल जाता है। सूजन और पीड़ायुक्त पेट। मतली और उल्टी। बुखार. पेन्क्रियाटाइटिस कारण – पेन्क्रियाटाइटिस उत्पन्न होने के प्रमुख कारणों में हैं: पित्ताशय की पथरी और अत्यधिक मदिरापान।.

पेन्क्रियाटाइटिस: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

पेन्क्रियाटाइटिस आहार – लेने योग्य आहार: अनाज, फल और सब्जियाँ, लीन मीट्स और फलियाँ जो कि प्रोटीन से भरपूर होते हैं।

भगंदर: रोकथाम और जटिलताएं

भगंदर रोकथाम – शिशुओं में डायपर नियमित अन्तराल पर बदलते रहें। गुदा के क्षेत्र को सूखा रखें। गुदा के क्षेत्र को हौले-हौले स्वच्छ करें।.

भगंदर: प्रमुख जानकारी और निदान

गुदा द्वार का घाव (भगंदर) गुदा मुख की परत वाली त्वचा में छोटे, अंडाकार आकृति के रूप में त्वचा के फटने, तड़कने या छाला होने पर होता है।.

भगंदर: लक्षण और कारण

भगंदर लक्षण – गुदा में दर्द। मलत्याग के दौरान और इसके पश्चात् कुछ समय तक दर्द बना रहना। गुदा से चमकीला लाल रक्त निकलना। मल की सतह पर रक्त की उपस्थिति।. भगंदर कारण – भगंदर की उत्पत्ति अधिक मात्रा में सख्त मलत्याग से या लम्बे समय तक अतिसार के बने रहने से होती है।.