पलक की फुंसी: लक्षण और कारण

पलक की फुंसी – लक्षण – पनीली आँखें, पलकों की सूजन, धुंधली दृष्टि. पलक की फुंसी – कारण – स्टेफायलोकोकल बैक्टीरिया.

पलक की फुंसी: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

पलक की फुंसी – आहार – लेने योग्य आहार: विटामिन ए, सी और ई महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट हैं जो प्रतिरक्षक शक्ति को बढ़ाते हैं और बैक्टीरिया और वायरस द्वारा उत्पन्न संक्रमण रोकते हैं।
, विटामिन ए की उच्च मात्रा से युक्त आहारों में दूध, अंडे, लीवर, शक्तियुक्त दलिया, गहरे रंग के संतरे या हरी सब्जियाँ (जैसे गाजर, रतालू, कद्दू और केल), और संतरे की श्रेणी के फल जैसे केंटालूप, खुबानी, आड़ू, पपीता और आम आते हैं।
, विटामिन सी की उच्च मात्रा से युक्त आहारों में खट्टे फल, स्ट्रॉबेरी, कीवी, अमरुद, शिमला मिर्च, टमाटर, ब्रोकोली और पालक आते हैं।
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पलक की फुंसी: प्रमुख जानकारी और निदान

आँख की पलक पर होने वाली सूजन, जिसे होर्डियोलम के नाम से भी जाना जाता है, पलकों में स्थित, आँखों की ग्रंथियों का छोटा सा संक्रमण है।.

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस: लक्षण और कारण

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस लक्षण – आँख में जलन, खुजली या बाहरी वस्तु के होने का एहसास। प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता। कंजंक्टिवा का लाल या उत्तेजित होना।. केरेटोकंजंक्टिवाइटिस कारण – आयु, लिंग – हार्मोन सम्बन्धी परिवर्तनों के कारण महिलाओं में नेत्र शुष्क होने की समस्या उत्पन्न होने की संभावना अधिक होती है। औषधियां जैसे एलर्जीरोधक, नाक में अवरोध रोकने वाली, रक्तचाप सम्बन्धी और अवसादरोधी आदि।.

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस आहार – लेने योग्य आहार: ड्राई आई सिंड्रोम अक्सर केवल पानी का अधिक मात्रा में सेवन करने से सुधर जाता है। आवश्यक वसीय अम्ल के पोषक तत्व अश्रु झिल्ली की जलीय और तैलीय दोनों प्रकार की तरल परत के उत्पादन हेतु उत्तरदायी होते हैं। आवश्यक वसीय अम्लों के उत्तम भोज्य स्रोतों में मछली का तेल और ठन्डे जल की मछली जैसे सैलमन, हेलिबट, सारडाइन और ट्यूना आते हैं। अन्य बढ़िया स्रोतों में हैं अलसी के बीज और उनका तेल। एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध फल और सब्जियाँ लें जैसे स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी, क्रेनबेरी, अमरुद, पपीता और संतरे, सब्जियाँ: सब्जियों में गाजर, टमाटर, ब्रोकोली, शिमला मिर्च, फलियाँ, अर्टिचोक, फूलगोभी, हरी पत्तेदार सब्जियाँ आदि सभी एंटीऑक्सीडेंट के बढ़िया स्रोत हैं।

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस: रोकथाम और जटिलताएं

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस रोकथाम – अत्यधिक सूखे वातावरण में ना रहें। धूल और धुएँ से भरे क्षेत्रों में ना जाएँ। लम्बे समय तक देख कर किये जाने वाले कार्य ना करें। शरीर में जल की कमी ना होने दें, पानी का सेवन अधिक मात्रा में करें।.

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस: प्रमुख जानकारी और निदान

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस सिक्का (केसीएस) ऐसी स्थिति है जिसमें आँखों की सतह पर उपस्थित झिल्लियाँ, जिन्हें कंजंक्टिवा भी कहते हैं, आँखों को चिकना रखने व पोषण देने हेतु आवश्यक अश्रुओं की कम मात्रा के चलते लाल हो जाती हैं और उनपर सूजन आ जाती है।.

केरेटोकोनस: प्रमुख जानकारी और निदान

केरेटोकोनस एक असामान्य स्थित है जिसमें आमतौर पर गोलाकार, गुम्बदनुमा रहने वाला कॉर्निया (आँख की स्वच्छ सम्मुख पाई जाने वाली खिड़की), पतली हो जाती है और कोन की तरह के आकार में उभर आती है।.

केरेटोकोनस: लक्षण और कारण

केरेटोकोनस लक्षण – बढ़ते हुए निकट दृष्टिदोष के साथ दृष्टि का धुंधला या विकृत होना। चमकीले प्रकाश और उजाले के प्रति संवेदनशीलता। रात्रि में दृष्टि सम्बन्धी समस्या।. केरेटोकोनस कारण – केरेटोकोनस की उत्पत्ति का कारण अज्ञात है। हालाँकि, इसे अनुवांशिक स्थिति या हार्मोन सम्बन्धी विसंगति के कारण उत्पन्न माना जाता है।.

केरेटोकोनस: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

केरेटोकोनस आहार – आहार में एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध आहार जैसे गाजर, पालक, पपीता, ब्राज़ील नट्स, अंडे, केल, पीली मक्का, बादाम, सूरजमुखी के बीज, संतरे, केले, सेब। एंटीऑक्सीडेंट को विभिन्न आहारों से प्राप्त किया जाता है जैसे फल, सब्जियाँ, मेवे, अनाज, मीट, मछली और पोल्ट्री। प्रोसेस्ड आहार, कृत्रिम मीठे पदार्थ, तले फल, संतृप्त वसा और रिफाइंड शक्कर।