एटिलेक्टेसिस: प्रमुख जानकारी और निदान

एटिलेक्टेसिस क्या है?

एटिलेक्टेसिस हवा के लिए फेफड़ों में पाई जाने वाली थैलीनुमा रचना, जिसे अल्वेओली कहते हैं, का आंशिक या पूर्ण रूप से नष्ट हो जाने का नाम है। यह फेफड़े के किसी हिस्से में या पूरे फेफड़े में हो सकता है जिससे श्वास में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का परस्पर बदलाव रुक जाता है। सामान्यतया, शरीर में ऑक्सीजन फेफड़ों से प्रविष्ट होती है और अल्वेओली में इसका बदलाव कार्बन डाइऑक्साइड के साथ होता है। दोनों गैसों के इस परिवर्तन को करने के लिए फेफड़े फैलते और सिकुड़ते हैं।
एटिलेक्टेसिस कोई रोग नहीं है, बल्कि फेफड़ों के रोग या असामान्यता के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई स्थिति या संकेत है।

रोग अवधि

एक बार अवरोध को हटा दिया जाए तो आमतौर पर नष्ट हुआ फेफड़ा धीरे-धीरे फिर से स्वाभाविक स्थिति में आ जाता है। हालाँकि, कुछ क्षति शेष रह जाती है।

जाँच और परीक्षण

डॉक्टर आपके लक्षणों और चिकित्सीय इतिहास के बारे में पूछेंगे। शारीरिक परीक्षण किया जाएगा। इसमें सामान्य ध्वनियों में होने वाले परिवर्तन के लिए आपके फेफड़ों को सुना जा सकता है। जांचों में हैं:
  • एक्स-रे या सीटी स्कैन।
  • ब्रोंकोस्कोपी

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

1. एटिलेक्टेसिस क्या है?
एटिलेक्टेसिस हवा के लिए फेफड़ों में पाई जाने वाली थैलीनुमा रचना, जिसे अल्वेओली कहते हैं, का आंशिक या पूर्ण रूप से नष्ट हो जाने का नाम है।

2. एटिलेक्टेसिस के लक्षण कौन से होते हैं?
यदि फेफड़े का बड़ा हिस्सा नष्ट हो तो लक्षण दिखाई देते हैं। इनमें हैं साँस की गति तेज होना, साँस में कमी (डिस्निया) या उथली सांसें लेना जो कि खाँसने तक पहुँच जाती है। इसके साथ ही हल्का बुखार, ह्रदय गति तेज होना, छाती में दर्द होना, होंठों या नाखूनों पर नीलापन होना या साँस लेते समय आवाज होना आदि भी हो सकते हैं।

3. एटिलेक्टेसिस किस प्रकार उत्पन्न होता है?
सामान्यतया, शरीर में ऑक्सीजन फेफड़ों से प्रविष्ट होती है और अल्वेओली में इसका बदलाव कार्बन डाइऑक्साइड के साथ होता है। दोनों गैसों के इस परिवर्तन को करने के लिए फेफड़े फैलते और सिकुड़ते हैं। एटिलेक्टेसिस कोई रोग नहीं है, बल्कि फेफड़ों के रोग या असामान्यता के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई स्थिति या संकेत है। यह फेफड़े के किसी हिस्से में या पूरे फेफड़े में हो सकता है जिससे श्वास में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का परस्पर बदलाव रुक जाता है।

4. इस रोग से पीड़ित होने पर व्यक्ति को क्या करना चाहिए?
व्यक्ति को चाहिए कि लम्बे समय तक बिस्तर पर रहे व्यक्ति को गति करने के लिए और गहरा श्वास लेने के लिए प्रोत्साहित करे। रोगी अपने शरीर को ऐसी स्थिति में रखे जिसमें उसका सिर उसकी छाती से नीचे की तरफ रहे (इसे पोस्चुरल ड्रेनेज कहते हैं)। यह फेफड़ों के निचले हिस्से से बलगम को अधिक बेहतर तरीके से बाहर निकालता है। खाँसी लेने को प्रोत्साहित करें। छाती पर थपकी दें ताकि हवा लेने के मार्ग में इकठ्ठा बलगम ढीला हो सके। यदि पूरे समय बिस्तर पर आराम कर रहे हैं तो अपने शरीर की स्थितियों को बदलते रहें। अलग स्थिति में परिवर्तित होने से फेफड़ों में उपस्थित बलगम को बाहर निकालने में सहायता होती है। अपने फेफड़ों को फ़ैलाने के लिए और एटिलेक्टेसिस का उपचार करने के लिए हर घंटे में कई बार गहरी सांसें लें।

5. व्यक्ति को डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?
डॉक्टर से संपर्क करें यदि आपको अग्रलिखित में से कोई लक्षण है: श्वास लेने में कठिनाई या साँस लेने में कमी या बुखार अथवा छाती में दर्द या गंभीर रूप से खाँसी और साँस लेने पर छाती में आवाज होना। त्वचा के नीलेपन की स्थिति में तुरंत चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता होती है।

 
फेफड़े का बंद होना, हवा का बदलाव ना होना, साँस लेने में कठिनाई, फेफड़े का नष्ट होना, तीव्र एटिलेक्टेसिस, दीर्घकालीन एटिलेक्टेसिस, वायुहीनता की स्थिति, अवशोषण एटिलेक्टेसिस, एटिलेक्टेसिस, एटिलेक्टेसिस डॉक्टर सलाह, Atelactasis rog, Atelactasis kya hai?, Atelactasis in hindi,