केरेटोकंजंक्टिवाइटिस: प्रमुख जानकारी और निदान

केरेटोकंजंक्टिवाइटिस क्या है?

ड्राई आई सिंड्रोम (डीईएस) जिसे शुष्क नेत्र या केरेटोकंजंक्टिवाइटिस सिक्का (केसीएस) भी कहा जाता है, अश्रु झिल्ली का सामान्य विकार है। यह ऐसी स्थिति है जिसमें आँखों की सतह पर उपस्थित झिल्लियाँ, जिसे कंजंक्टिवा भी कहते हैं, आँखों को चिकना रखने व पोषण देने हेतु आवश्यक अश्रुओं की कम मात्रा के चलते लाल हो जाती हैं और उनपर सूजन आ जाती है।
अश्रु पानी, वसायुक्त तेल और श्लेष्मा का जटिल मिश्रण होते हैं। यह मिश्रण आपकी आँखों की सतह को स्वच्छ और सुचारू बनाए रखने में सहायक होता है। पलकों के हर बार झपकने के साथ ही, अश्रु आँख की सामने वाली सतह, जिसे कॉर्निया कहा जाता है, के चारों तरफ फ़ैल जाते हैं और ये चिकनाई प्रदान करके आँखों को संक्रमण से बचाने में सहयोग करते हैं।

रोग अवधि

पूरी तरह ठीक होने में तीन से छः माह तक लगते हैं।

जाँच और परीक्षण

शुष्क नेत्रों का निर्धारण आँखों के विस्तृत परीक्षण द्वारा होता है।
  • रोगी का चिकित्सीय इतिहास।
  • आँखों के बाहरी परीक्षण द्वारा, जिसमें पलकों की संरचना और उनके झपकने की गति आदि होते हैं।
  • चमकीले प्रकाश और वस्तुओं को वृहद करके पलकों और कॉर्निया का परीक्षण करना।
  • किसी भी तरह की असामान्यता को जानने के लिए विशेष रंगद्रव्यों के प्रयोग द्वारा आंसुओं की मात्रा और गुणवत्ता का आकलन।

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

1. केरेटोकंजंक्टिवाइटिस सिक्का क्या है?
ड्राई आई सिंड्रोम (डीईएस) जिसे शुष्क नेत्र या केरेटोकंजंक्टिवाइटिस सिक्का (केसीएस) भी कहा जाता है, अश्रु झिल्ली का सामान्य विकार है, जो या तो कम अश्रु उत्पादन या अश्रु झिल्ली के अधिक उत्सर्जन के कारण होता है।

2. यह रोग कैसे होता है?
इस रोग में, आँखों की सतह पर उपस्थित झिल्लियाँ, जिसे कंजंक्टिवा भी कहते हैं, आँखों को चिकना रखने व पोषण देने हेतु आवश्यक अश्रुओं की कम मात्रा के चलते लाल हो जाती हैं और उनपर सूजन आ जाती है।

3. अश्रु या आँसू क्या होते हैं?
अश्रु पानी, वसायुक्त तेल और श्लेष्मा का जटिल मिश्रण होते हैं। यह मिश्रण आपकी आँखों की सतह को स्वच्छ और सुचारू बनाए रखने में सहायक होता है। पलकों के हर बार झपकने के साथ ही, अश्रु आँख की सामने वाली सतह, जिसे कॉर्निया कहा जाता है, के चारों तरफ फ़ैल जाते हैं और ये चिकनाई प्रदान करके आँखों को संक्रमण से बचाने में सहयोग करते हैं।

4. इस प्रकार के रोग से ग्रस्त होने पर क्या करना चाहिए?
व्यक्ति को चाहिए कि अपनी आँखों पर गर्म भीगा हुआ कपड़ा रखें। किसी अपशिष्ट या कचरे को ढीला करके निकालने के लिए अपनी पलकों पर कपड़े को हौले से रगड़ें। अक्सर अपनी आँखों को उद्देश्य रखकर झपकाएं। एकाध बार अपनी आँखों को विश्राम भी दें। कार्यस्थल और घर पर हवा में नमी के स्तर को बढ़ाएं। बाहर धूप से बचाव का चश्मा लगाएँ, विशेषकर वह चश्मे जिनकी फ्रेम में आँखों को घेरकर सुरक्षा देने वाला डिजाईन हो, ताकि धूप और सूखी हवा के आक्रमण को कम किया जा सके। अपनी छोटी ऊँगली को गोलाकार गति में घुमाते हुए अपनी बंद आँखों की हौले-हौले मालिश करें।

5. व्यक्ति को डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?
डॉक्टर से संपर्क करें यदि आप अग्रलिखित लक्षणों का अनुभव करते हैं जैसे धुंधली दृष्टि, आँख में जलन, खुजली या लालिमा, आँख में खुजली या किरकिरापन अनुभव होना, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता या आँखों से थोड़ा से चिपचिपे पदार्थ का स्राव होना।





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