मोतियाबिंद: प्रमुख जानकारी और निदान

मोतियाबिंद क्या है?

मोतियाबिंद आँख के लेंस पर धुंधलापन आने को कहते हैं जो कि दृष्टि को प्रभावित करता है। मोतियाबिंद अधिकतर आयु के साथ सम्बंधित होता है। वृद्धजनों में मोतियाबिंद होना अत्यंत सामान्य है। यह एक अथवा दोनों आँखों में हो सकता है। यह एक आँख से दूसरी में नहीं फ़ैल सकता।
मोतियाबिंद के प्रकारों में हैं:
  • आयु सम्बन्धी।
  • जन्मजात (कुछ बच्चे मोतियाबिंद के साथ जन्म लेते हैं या पहले यह एक वर्ष के भीतर उत्पन्न हो जाता है)।
  • आघाती (आँख में चोट लगने से)।
  • द्वितीयक [औषधियों (आमतौर पर प्रेडनिसोलोन या अन्य कोर्टिकोस्टेरोइड्स के कारण) या रोगों, जैसे मधुमेह]

रोग अवधि

आमतौर पर मोतियाबिंद के अग्रगामी होने की दर का निर्धारण हो सकता है और अधिकतर मामलों में दृष्टि की वापसी हेतु शल्यक्रिया सफल होती है।

जाँच और परीक्षण

मोतियाबिंद के निर्धारण में आँखों का मानक परीक्षण और स्लिट-लैंप परीक्षण का प्रयोग किया जाता है। कमजोर दृष्टि की पहचान के कारणों के अतिरिक्त अत्यंत कम मामलों में ही अन्य जाँचों की आवश्यकता होती है।

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

1. मोतियाबिंद क्या है?
मोतियाबिंद आँख के लेंस पर धुंधलापन आने को कहते हैं जो कि दृष्टि को प्रभावित करता है। मोतियाबिंद अधिकतर आयु के साथ सम्बंधित होता है। वृद्धजनों में मोतियाबिंद होना अत्यंत सामान्य है।

2. यह एक आँख में होता है या दोनों?
यह एक अथवा दोनों आँखों में हो सकता है। यह एक आँख से दूसरी में नहीं फ़ैल सकता।

3. इसके लक्षण क्या हैं?
मोतियाबिंद के चिन्हों और लक्षणों में हैं: अस्पष्ट, धुंधला और बादलनुमा दिखाई पड़ना, रात के समय दृष्टि सम्बन्धी कठिनाई का बढ़ जाना, प्रकाश और चमक के प्रति संवेदनशीलता, प्रकाश के आसपास आभामंडल को देखना, रंगों का हल्का या पीलेपन पर दिखाई देना, दोहरा दिखाई देना, रंगों की तीव्रता की हानि, रात के समय कम दिखाई देना।

4. मोतियाबिंद किस प्रकार होता है?
मोतियाबिंद तब होता है जब आँख के लेंस में प्रोटीन का निर्माण होता है जो इसे बादलनुमा बना देता है। यह प्रकाश को लेंस से स्पष्टता से गुजरने से रोकता है, जिससे दृष्टि की कुछ हानि होती है। चूंकि नई कोशिकाओं का निर्माण लेंस के बाहरी तरफ होता है, इसलिए सभी पुरानी कोशिकाएँ लेंस के केंद्र पर इकट्ठी हो जाती हैं परिणामस्वरूप मोतियाबिंद की उत्पत्ति होती है।

5. व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए?
व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए जब लक्षण जैसे बादलनुमा, झागनुमा, धुंधला, या फिल्मनुमा दिखाई देना, रात के समय या मंद प्रकाश में दिखाई देने में कठिनाई, दोहरा दिखाई देना, रंगों की तीव्रता की हानि और चमकीले प्रकाश से समस्या आदि उत्पन्न हों।

 
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