सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी: प्रमुख जानकारी और निदान

सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी क्या है?

सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी, जिसे अक्सर नस का दबना भी कहा जाता है, तन्त्रिका या नस की कार्यप्रणाली में उत्पन्न हुई क्षति या अवरोध है जो तब होता है जब गर्दन स्थित मेरुदंड के पास अवस्थित कोई तन्त्रिका का मूलस्थान दब जाता है।
सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी दर्द्युक्त स्थिति है जिसमें जब तंत्रिका मेरुदंड से हटती है तो दब जाती है। दबी हुई तंत्रिका में या तो बाहर निकली हुई डिस्क के पदार्थ से या गर्दन से निकलते हुए क्षतिग्रस्त हड्डियों के टुकड़ों से खिंचाव उत्पन्न होता है।

रोग अवधि

किसी दबी हुई तंत्रिका के पूरी तरह ठीक होने में लगने वाला समय उस तन्त्रिका को हुई क्षति की मात्रा पर निर्भर करता है। चूंकि तंत्रिका बिलकुल निचले सिरे से ठीक होती है, इसलिए इसके पूरी तरह ठीक होने में हफ़्तों से लेकर महीनों तक का समय लग सकता है।

जाँच और परीक्षण

रोग के निर्धारण की शुरुआत समस्या के संपूर्ण इतिहास और शारीरिक परीक्षण से होती है। अन्य जाँचों में हैं:
  • एक्स-रे
  • एमआरआई/सीटी स्कैन
  • इलेक्ट्रोमायोग्राफी (ईएमजी) जाँच
  • सर्वाइकल रूट स्टिमुलेशन (सीआरएस)

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

Q1. सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी क्या है?
सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी, जिसे अक्सर नस का दबना भी कहा जाता है, तन्त्रिका या नस की कार्यप्रणाली में उत्पन्न हुई क्षति या अवरोध है जो तब होता है जब गर्दन स्थित मेरुदंड के पास अवस्थित कोई तन्त्रिका का मूलस्थान दब जाता है। सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी दर्द्युक्त स्थिति है जिसमें जब तंत्रिका मेरुदंड से हटती है तो दब जाती है। दबी हुई तंत्रिका में या तो बाहर निकली हुई डिस्क के पदार्थ से या गर्दन से निकलते हुए क्षतिग्रस्त हड्डियों के टुकड़ों से खिंचाव उत्पन्न होता है।

Q2. सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी के लक्षण क्या हैं?
सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी का प्रमुख लक्षण भुजाओं, गर्दन, छाती, पीठ और/या कन्धों में फैलने वाला दर्द है और यह दर्द धीमा, तीव्र जलनयुक्त या तीखा हो सकता है। अन्य लक्षणों में हैं: माँसपेशियों में कमजोरी और/या हाथों अथवा उँगलियों में झुनझुनी, सामंजस्य की कमी, खासकर हाथों में, सिरदर्द आदि।

Q3. इस स्थिति से ग्रस्त होने पर व्यक्ति को क्या करना चाहिए?
व्यक्ति को पर्याप्त विश्राम करना चाहिए और शरीर के चोटग्रस्त हिस्से को हिलने-डुलने से बचाने के लिए ब्रेस या स्पलिंट का उपयोग करना चाहिए। दबी हुई नस के क्षेत्र के दर्द, सूजन को कम करने और रक्तसंचार को बढ़ाने के लिए आप बर्फ और गर्म सिंकाई का प्रयोग कर सकते हैं। सूजन को कम करने के लिए 15 मिनट में 3 से 4 बार बर्फ लगाएँ। बर्फ लगाने के बाद, रक्तसंचार को बढ़ाने के लिए गर्म पानी की बोतल या गर्म पैड लगाएँ। बढ़ा हुआ रक्तसंचार ठीक होने की प्रक्रिया को तेज करता है। मालिश करवाना भी अत्यंत सहायक होता है।

Q4.व्यक्ति को डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
यदि व्यक्ति तीव्र दर्द, झुनझुनी, सनसनाहट की अनुभूति, कमजोरी और सिरदर्द से पीड़ित है; तो व्यक्ति को जितना जल्द हो सके डॉक्टर से मिलना चाहिए।

Q5. इस स्थिति से बचने के लिए क्या किया जा सकता है?
व्यक्ति खतरे के उन कारकों से बचाव कर सकता है जो दर्द को बढ़ाते हैं। उचित वजन बनाए रखें और खड़े होने, बैठने में उचित भंगिमा अपनाएँ। दोहराव वाले भारी कार्य करते समय व्यक्ति को पर्याप्त विराम लेना चाहिए।

 
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