अल्सरेटिव कोलाइटिस (आंत की सूजन): प्रमुख जानकारी और निदान

अल्सरेटिव कोलाइटिस (आंत की सूजन) क्या है?

अल्सरेटिव कोलाइटिस लम्बे समय तक बनी रहने वाली बड़ी आंत (कोलन) की सूजन है, जो गुदा और आंत की परतों में सूजन और घाव, जिन्हें अलसर या छाले भी कहते हैं, उत्पन्न करती है। यह इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज (आइबीडी) का एक रूप है। साधारणतया ये आंत के निचले हिस्से (सिग्मोइड कोलन) और गुदा को प्रभावित करती है, लेकिन ये पूरी आंत को प्रभावित कर सकती है। आइबीडी, आईबीएस (इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम) से भिन्न होती है। सूजन के स्थान और विस्तार के आधार पर अल्सरेटिव कोलाइटिस के विभिन्न रूपों का वर्गीकरण किया गया है।
Ulcerative colitis

रोग अवधि

  • यह बीमारी ठीक नहीं होती लेकिन नियंत्रित की जा सकती है।
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस जीवन भर रहने वाली स्थिति है, जब तक कि शल्यक्रिया द्वारा बड़ी आंत हटा ना दी जाए।
  • यदि व्यक्ति की शल्यक्रिया हुई है तो वह 2-3 माह में ठीक हो जाता है।

जाँच और परीक्षण

  • रक्त परीक्षण
  • मल का नमूना
  • कोलोनोस्कोपी
  • फ्लेक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी
  • बेरियम एनीमा
  • एक्स-रे
  • सीटी स्कैन

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

Q1. अल्सरेटिव कोलाइटिस के प्रबंधन पर भोजन कैसे प्रभाव डालता है?
स्वास्थ्यवर्धक और संतुलित पोषक आहार लेना अत्यंत आवश्यक है, खासकर बच्चों द्वारा। रोग के लिए कोई सामान्य आहार निर्देश नहीं हैं, केवल लेक्टोस हजम ना कर पाने वालों को दूध और उसके बने पदार्थों की मनाही है। सहज बुद्धि कहती है कि मलत्याग की आवृत्ति बढ़ाने वाले आहार जैसे कैफीन, शराब, लाल मिर्च और दस्तावर फल (आलूबुखारा, चेरी और आडू) नहीं लिए जाने चाहिए। कब्ज के रोगियों को इसबगोल या चोकर के रूप में अतिरिक्त रेशा लेना लाभकारी होता है।

Q2. मैं अल्सरेटिव कोलाइटिस के साथ स्वस्थ गर्भावस्था कैसे रख सकती हूँ?
सबसे महत्त्वपूर्ण काम जो आप कर सकते हैं वो है सक्रिय यूसी को नियंत्रित रखना और गर्भ धारण के पहले उससे मुक्ति पाना। यदि आप रोग की सक्रियता के दौरान गर्भवती होती हैं तो आपके लक्षणों के जारी रहने या और अधिक बिगड़ने की संभावना है।
सक्रिय यूसी का उभरते रहना आपको सामान्य से कम वजन वाला बना सकता है, और आपको बिना पोषण के गर्भधारण और बच्चे को पूर्ण गर्भकाल तक ले जाना पड़ सकता है। सामान्य से कम वजन होने पर गर्भावस्था की प्रथम तिमाही में गर्भपात की आशंका अधिक होती है। यदि आपका वजन सामान्य से कम है तो आपका बच्चा समय पूर्व जन्म ले सकता है और उसका वजन भी कम हो सकता है।
गर्भ धारण के प्रयास के दौरान और गर्भावस्था में आपको प्रतिदिन विटामिन लेना चाहिए। कभी-कभी गर्भावस्था पूर्व दिया जाने वाला आयरन आपके पाचन तंत्र हेतु भारी हो सकता है इसलिये आपको अन्य फोर्मुलों का प्रयोग करना चाहिए।
अपने आयरन के स्तर की जाँच सुनिश्चित करें क्योंकि यूसी ग्रस्त महिलाओं के रक्ताल्पता से ग्रस्त होने की संभावना भी अधिक होती है।
आपको फोलिक एसिड की अतिरिक्त मात्रा लेनी पड़ सकती है। फोलिक एसिड जन्मजात विकृतियों को रोकने में सहायक होता है।

Q3.क्या यूसी से कैंसर हो सकता है?
लम्बे समय तक बने रहने वाले (क्रोनिक) यूसी से पीड़ित रोगियों में कोलोनिक एपिथेलियल डिस्प्लेसिया और कैंसर होने की सम्भावना अधिक होती है। क्रोनिक यूसी में कैंसर का खतरा समय और रोग के विस्तार के साथ बढ़ता जाता है। यूसी में कैंसर के खतरे के लिए जिम्मेदार कारकों में रोग का समय लम्बा होना, रोग का विस्तारित होना, कोलन कैंसर का पारिवारिक इतिहास, आंत में सिकुड़न और कोलोनोस्कोपी में सूजन के बाद उत्पन्न छद्म-पोलिप्स का पाया जाना आता है।

Q4. कैंसर होने से बचाने के लिए ऐसा क्या है जो मैं कर सकता हूँ?
यदि आपको अल्सरेटिव कोलाइटिस है तो आप तय दवाएं नियमित लेकर अपने आंत के कैंसर की सम्भावना को घटा सकते हैं।
आपकी स्थिति की निगरानी का सही तरीका है कोलोनोस्कोपी कराते रहना।
आपकी स्थिति के आरंभ होने के आठ से दस वर्ष बाद, आपके डॉक्टर कैंसर के शुरुआती लक्षणों की जाँच के लिए आपसे कोलोनोस्कोपी करवाने के लिए कह सकते हैं। कोलोनोस्कोपी ऐसी जाँच है जिसमें आपके डॉक्टर एक सिकुड़े, लचीले, नलीनुमा कैमरे, जिसे कोलोनोस्कोप कहते हैं, के द्वारा आपकी आंत के भीतर देखकर जाँच करते हैं।
आपकी कोलोनोस्कोपी के परिणाम के आधार पर आपके डॉक्टर आपको शुरुआत में हर तीन वर्षों में कोलोनोस्कोपी करवाने के लिए कह सकते हैं। यदि आपको 20 वर्ष या अधिक तक अल्सरेटिव कोलाइटिस रहा है तो आपको हर एक या दो वर्षों में कोलोनोस्कोपी कराने की जरूरत हो सकती है।





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